कच्चा करेला अधिक गुणकारी
करेला की सब्जी बुखार, शुगर, स्क्रीन, दमा, पेट के रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद है। करेला खाने से खून साफ होता है। करेला सब्जी के रूप में खाने से कम लाभ और कच्चा खाने से अधिक फायदेमंद होता है। आजकल अधिकांश महिलाएं करेले के कड़वाहट के असर को कम करने के लिए नमक का प्रयोग करती हैं। इससे करेले का तत्व नष्ट हो जाता है।
करेला इन रोगों के लिए असरकारक
आयुर्वेद के अनुसार करेला का इस्तेमाल एक नैचरल स्टेरॉयड के रूप में किया जाता है। इसमें केरेटिन नामक रसायन होता है। करेला का सेवन करने से खून में शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है। करेला में मौजूद ओलिओनिक एसिड ग्लूकोसाइड, शुगर को खून में न घुलने देने की क्षमता रखता है।
कच्चा करेला जूस के रूप में लेने से अधिका लाभदायक होता है। आयुर्वेद के अनुसार प्रतिदिन एक गिलास करेला जूस पीने से शरीर को अधिक लाभ होता है। साथ ही खराब खान-पान से लिवर पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को भी कम किया जा सकता है।
पथरी रोगियों को करेला जूस पीने और करेला की सब्जी खाने से आराम मिलता है। करेला रस से पथरी गलकर धीरे-धीरे बाहर निकल जाती है। 20 ग्राम करेला रस में शहद मिलाकर पीने से पथरी गल कर पेशाब के रास्ते निकल जाती है। इसके पत्तों के 50 मिलीलीटर रस में हींग मिलाकर पीने से पेशाब खुलकर आता है।
करेला जूस शुगर को कंट्रोल करने के लिए रामबाण दवा के रूप में उपयोग किया जा सकता है। अधिकांश आयुर्वेद के डॉक्टरों का कहना है कि नियमित करेला जूस के सेवन से शुगर को खत्म किया जा सकता है। करेला में पाये जाने वाले विटमिन बी, अनसैचुरेटेड फैटी एसिड जैसे तत्व किडनी व लिवर को स्वस्थ रखते हैं।
करेला में ऐसे कई तत्व पाये जाते है जो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते है। इससे शरीर स्वस्थ रहता है। करेला को पानी उबालकर पीने से भी फायदेमंद होता है। इससे उल्टी, दस्त, हैजा जैसी बीमारियों के लिए फायदा होता है।
कफ के मरीजों के लिए करेला जूस बहुत फायदेमंद है। इसके अलावा अस्थमा में बिना मसाले की सब्जी लाभदायक होती है। गैस की समस्या या अपच होने पर करेला राहत देता है। लकवा और पीलिया में करेले का रस अधिक फायदा करता है।
करेला खाने की विधि
करेला को जूस, सब्जी, पेस्ट, पत्तियों आदि में उपयोग लिया जाता है। पेट की समस्या के लिए करेला रस निकालकर जूस के रूप में सेवन करें। मुंह में छाले होने पर करेले की पत्तियों के रस को मुलतानी मिट्टी में पेस्ट बनाकर कर सकते है। फोड़े के स्थान पर करेले की जड़ को घिसकर लगाने से लाभ होता है। नोट : करेले के सेवन से किसी प्रकार की समस्या होने पर आयुर्वेद डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।