एआईसीसी का कहना है कि जहां राजनीतिक समीकरणों के लिहाज से जरुरी होगा वहीं विधायकों को निगम-मंडल में कुर्सी दी जाएगी। एआईसीसी ने विधायकों को ये संदेश भी दिया है कि वे निगम-मंडलों में नियुक्ति की अपेक्षा न रखें, क्योंकि जो लोग चुनाव में हार गए हैं या टिकट हासिल नहीं कर पाए या फिर १५ सालों से कांग्रेस के लिए संघर्ष कर रहे हैं उनको भी मौका मिलना चाहिए। कांग्रेस एक व्यक्ति-एक पद के सिद्धांत पर काम करती है इसलिए इसका ख्याल सबको रखना चाहिए।
असंतुष्टों को साधने की कोशिश :
निगम- मंडलों में समायोजित कर सरकार असंतुष्ट विधायकों को संतुष्ट करने का फॉर्मूला लेकर आई है। कांग्रेस सरकार भले ही बहुमत में आ गई हो लेकिन वो अपने सहयोगी दलों और निर्दलीय विधायकों को भी साथ लेकर चलना चाहती है। विधायकों की सरकारी संस्थाओं में ताजपोशी से मुख्यमंत्री ये संदेश देना चाहते हैं कि उनके लिए सहयोगी विधायक भी आज भी उतने ही अहम हैं जितने कल थे। कुछ को मंत्री पद तो कुछ को टिकट न दे पाने के बदले में निगम-मंडल की कुर्सी दी जाएगी। जेवियर मेड़ा को टिकट के बदले निगम का अध्यक्ष बनाया जाएगा तो दीपक सक्सेना को भी निगम की कमान दी जाएगी। निर्दलीय विधायकों में सुरेंद्र सिंह शेरा तो सपा के राजेश शुक्ला और बसपा के संजीव कुशवाहा को भी निगम-मंडल में एडजस्ट किया जा सकता है।
– राजनीतिक समीकरणों के लिहाज से निगम-मंडल में विधायकों की नियुक्ति की जाएगी लेकिन मोटे तौर पर हमने कहा है कि विधायक इन संस्थाओं में उन लोगों के लिए जगह छोड़ दें जो पिछले १५ साल से कांग्रेस के लिए संघर्ष कर रहे हैं। – दीपक बावरिया प्रदेश प्रभारी,कांग्रेस