लोकसभा चुनाव में फेल हुए थे सिंधिया
2019 में देश में लोकसभा चुनाव हुए थे। कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी का महासचिव बनाया था और उन्हें पश्चिमी यूपी का प्रभार दिया सौंपा था। लेकिन लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया फेल हो गए थे और पश्चिमी यूपी की एक भी सीट पर पार्टी को जीत नहीं दिला पाए थे। यहां तक की ज्योतिरादित्य अपनी खुद की पारंपारिक सीट गुना-शिवपुरी से अपना चुनाव हार गए थे। लोकसभा चुनावों में फेल सिंधिया का एक बार फिर इम्तिहान होना है।
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनावों के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खूब मेहनत की थी। उम्मीद थी कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को सीएम पद की कुर्सी मिलेगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया की जगह कमलनाथ को मध्यप्रदेश में सीएम पद की कुर्सी सौंपी गईं। सिंधिया को लोकसभा चुनावों से पूर्व पश्चिम उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उन्हें मध्य प्रदेश की राजनीति से दूर कर दिया। सिंधिया की मध्यप्रदेश में वापसी के लिए उनके समर्थक उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन प्रदेश अध्यक्ष के चयन से पहले की कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को महाराष्ट की जिम्मेदारी सौंप दी। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को खुद को साबित करने के लिए महाराष्ट्र चुनाव में खुद को साबित करना है।
मध्यप्रदेश में खींचतान जारी है। जानकारों को कहना है कि कमलनाथ को ज्योतिरादित्य सिंधिया से सीधी चुनौती मिल रही है। सिंधिया प्रदेश अध्यक्ष पद और मुख्यमंत्री पद दोनों के दावेदार हैं। वहीं, यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व में सिंधिया को प्रदेश की राजनीति में रखने की इच्छा नहीं है। हाल ही में ज्योतिरादित्य सिंधिया के सोनिया गांधी से कई बार मुलाकात करने की खबरें आईं पर सोनिया और सिंधिया के बीच मुलाकात नहीं हो गई।
महाराष्ट्र में कांग्रेस की स्थिति
महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं। यहां कांग्रेस और शरद पवार की पार्टी एनसीपी के बीच गठबंधन है। महाराष्ट्र में अभी भाजपा और शिवसेना की सरकार है। 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 27.8 फीसदी वोट के साथ 122 सीटें जीती थीं और शिवसेना ने 19.3 फीसदी वोट के साथ 63 सीटों पर जीत हासिल की थी। जबकि कांग्रेस ने 18 फीसदी वोट के साथ 42 सीट जीत पाई थी। 2019 में केन्द्र में मोदी सरकार बनने के बाद कांग्रेस के कई नेता पार्टी छोड़कर भाजपा में जा चुके हैं। ऐसे में ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने सही उम्मीदवार चुनने का दबाव होगा तो साथ ही पार्टी छोड़ रहे नेताओं को पार्टी के प्रति विश्वास भी जगाना होगा।
ये हैं स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य
ज्योतिरादित्य सिंधिया को जहां स्क्रीनिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। सिंधिया के अलावा इस स्क्रीनिंग कमेटी में मणिकम टैगोर, हरीश चौधरी, वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे, बालासाहेब थोराट और केसी पाडवी इस कमेटी के मेंबर बनाए गए हैं।
क्या है स्क्रीनिंग कमेटी का काम
स्क्रीनिंग कमेटी महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन को लेकर काम करेगी। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी का महासचिव बनाया गया था। उन्हें पश्चिमी यूपी का प्रभार सौंपा गया था। लेकिन पश्चिमी यूपी में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।