scriptज्योतिरादित्य सिंधिया— सफल बैंकर से केंद्र में मंत्री तक, जानिए उनका राजनैतिक सफर | Jyotiraditya Scindia Political Profile Political Journey Of Scindia | Patrika News
भोपाल

ज्योतिरादित्य सिंधिया— सफल बैंकर से केंद्र में मंत्री तक, जानिए उनका राजनैतिक सफर

सिंधिया का सियासी सफर- ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पिछले साल 10 मार्च को कांग्रेस से इस्तीफा दिया था। उन्होंने अपने समर्थक विधायकों के साथ भाजपा ज्वाइन कर मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बनवा दी थी। तभी से ज्योतिरादित्य सिंधिया को केंद्र में मंत्री बनाने की चर्चा चल रही है जोकि अब पूर्ण होती दिख रही है। देश में खासकर मध्य प्रदेश की राजनीति में सिंधिया राजघराना बेहद प्रतिष्ठित है।

भोपालJul 07, 2021 / 09:04 am

deepak deewan

Jyotiraditya Scindia Political Profile Political Journey Of Scindia

Jyotiraditya Scindia Political Profile Political Journey Of Scindia

भोपाल. पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पिछले साल 10 मार्च को कांग्रेस से इस्तीफा दिया था। उन्होंने अपने समर्थक विधायकों के साथ भाजपा ज्वाइन कर मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बनवा दी थी। तभी से ज्योतिरादित्य सिंधिया को केंद्र में मंत्री बनाने की चर्चा चल रही है जोकि अब पूर्ण होती दिख रही है। देश में खासकर मध्य प्रदेश की राजनीति में सिंधिया राजघराना बेहद प्रतिष्ठित है।
मोदी कैबिनेट विस्तार – ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ इन 4 नामों की भी है चर्चा

हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपेक्षाकृत देरी से राजनीति में आए थे पर जल्द ही उन्होंने यहां अपनी गहरी पकड़ बना ली। ज्योतिरादित्य सिंधिया को राजनीति विरासत अपने पिता स्वर्गीय माधवराव सिंधिया से मिली। ज्योतिरादित्य की दादी विजयाराजे सिंधिया बीजेपी की दिग्गत नेताओं में मानी जाती थीं। इधर माधवराव सिंधिया की दो बहनें वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे भी बीजेपी की नेता हैं।
राष्ट्रपति पद के प्रमुख दावेदार थे डा. थावरचंद गहलोत, अब संभालेंगे कर्नाटक का राजभवन

माधवराव सिंधिया कांग्रेस के दिग्गज नेता माने जाते थे। हालांकि माधवराव सिंधियों ने अपने राजनैतिक कैरियर की शुरुआत जनसंघ के टिकट से चुनाव लड़ने के साथ की थी लेकिन बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए थे। सन 2001 में विमान हादसे में पिता माधवराव सिंधिया मौत हो गई जिसके बाद वे विदेश से लौटे और राजनीति में आने का फैसला किया। ज्योतिरादित्य ने सन 2002 में पिता की पारंपरिक सीट गुना संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और लोकसभा पहुंचे।
सिंधिया मंच से दे रहे थे सीख, सामने ही उड़ती रही सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां

सन 2004 के आमचुनाव में भी इसी सीट से चुनाव जीते। 6 अप्रैल 2008 को सिंधिया को तत्कालीन यूपीए सरकार में पहली बार मंत्री बनाया गया. तब उन्होंने संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के राज्‍यमंत्री का पदभार संभाला। सन 2009 के लोकसभा में भी वे विजयी रहे और उन्हें यूपीए की मनमोहनसिंह सरकार में केंद्रीय वाणिज्‍य एवं उद्योग राज्‍यमंत्री का स्वतंत्र प्रभार प्रदान किया गया था।
सन 2014 में जबर्दस्त मोदी लहर के बावजूद वे लोकसभा चुनाव में गुना में विजयी रहे थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता गंवा दी, लेकिन ज्योतिरादित्य अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे थे। हालांकि 2019 की मोदी लहर में वे अपने सहयोगी रहे केपी यादव से ही लोकसभा का चुनाव हार गए।
एमपी के मंत्री के विवादित बोल: नियम तोड़ो-कानून तोड़ो, कैसे भी करो यह काम

इधर मध्यप्रदेश में विधानसभा में जीत के बाद कमलनाथ को प्रदेश की कमान सौंप दी गई थी जिससे सिंधिया नाराज थे। वादा करने के बावजूद सिंधिया को मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष का पद नहीं दिया गया। उसके बाद राज्यसभा भेजे जाने को लेकर भी विवाद होने लगे। अंतत: सिंधिया ने कांग्रेस से ही किनारा कर लिया और भाजपा में अपनी नई राजनैतिक पारी प्रारंभ की।

Hindi News / Bhopal / ज्योतिरादित्य सिंधिया— सफल बैंकर से केंद्र में मंत्री तक, जानिए उनका राजनैतिक सफर

ट्रेंडिंग वीडियो