मध्यप्रदेश विदानसबा चुनाव के पहले कमल नाथ का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी और कमलनाथ मध्यप्रदेश के सीएम बने। सीएम बनने के बाद कमल नाथ के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफे की अटकलें लगाई गईं, लेकिन तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा- लोकसभा चुनाव भी कमलनाथ के नेतृत्व में होंगे लेकिन लोकसभा में पार्टी की हार हुई। राहुल गांधी ने हार के बाद पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया फिर कांग्रेस में इस्तीफों का दौर शुरू हो गया। कमल नाथ ने भी अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की उसके बाद से सिंधिया के प्रदेश अध्यक्ष बनने की अटकलें लगने लगीं। लेकिन अब सिंधिया को महाराष्ट्र भेज दिया गया है।
महाराष्ट्र में दिसंबर तक चुनाव प्रस्तावित हैं। अटकलें लगाई जा रही हैं कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस जल्द ही अपने प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा कर सकती है। ऐसे में सिंधिया महाराष्ट्र छोड़कर मध्यप्रदेश वापस नहीं आ सकते हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यही कारण है कि सिंधिया एक बार फिर से मध्यप्रदेश की सियासत से दूर हो गए हैं।
कमलनाथ-दिग्विजय, सिंधिया पर हावी
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद प्रदेश की राजनीति में बढ़ा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता हैं लेकिन इसके बाद भी सिंधिया को प्रदेश में पार्टी की तरफ से कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी जा रही है। जानकारों का कहना है कि राहुल गांधी जब तक कांग्रेस अध्यक्ष थे ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद बढ़ा था। राहुल गांधी के अध्यक्ष रहते हुए दिग्विजय सिंह का कद प्रदेश की सियासत में घटने लगा था वो खुद भोपाल से अपना चुनाव हार गए थे।
सिंधिया के बाहर जाने से किसे होगा फायदा?
दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बाद प्रदेश के कांग्रेस नेताओं में ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम आता है। जानकारों का कहना है कि सिंधिया अगर मध्यप्रदेश की सियासत से दूर रहते हैं तो इसका सीधा फायदा कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को हो सकता है। दिग्विजय सिंह इस समय राज्यसभा सांसद हैं और उनकी उम्र भी करीब 72 साल की है। दिग्विजय सिंह अब प्रदेश की सियासत में अपना वर्चश्व बचाए रखना चाहते हैं इसलिए अक्सर मीडिया के सामने आते रहते हैं। राज्यसभा सांद के अलावा उनके पास पार्टी का कोई बड़ा पद भी नहीं है। लेकिन दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह प्रदेश की सियासत में बड़ी तेजी से उभर रहे हैं। जयवर्धन सिंह अपनी पिता की सीट राघौगढ़ से दूसरी बार विधायक चुने गए हैं और प्रदेश सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री हैं।