अनुभूति कैंप में शासकीय विद्यालयों के कक्षा छह से 12वीं तक के बच्चों को शामिल किया जाता है। प्रत्येक 20 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक जरूरी है। जंगल और वन्य प्राणियों की संपूर्ण जानकारी के लिए ईको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड ने अनुभूति पुस्तिका तैयार की है, जिसमें मप्र में मौजूद 11 राष्ट्रीय उद्यान, 24 राष्ट्रीय अभयारण्य और छह टाइगर रिजर्व के बारे में बताया गया है। इसके साथ ही मप्र की पक्षियों की सभी प्रजातियों, मृग-हिरण, बिल्ली परिवार के बाघ, तेंदुआ, सिंह समेत तितलियों की जानकारी दी गई है। पुस्तिका में जलीय जीवों के संबंध में भी विस्तार से बताया है। अनुभूति कैंप में बच्चों को जानकारी देने के लिए प्रदेशभर के 80 वन रक्षकों को विशेष ट्रेनिंग दी गई है। कैंप में आने वाले बच्चों को ये इस पुस्तिका के अलावा वन उत्पाद की किट बतौर उपहार दी जाती है।
तैयार कर रहे मिशन लाइफ की नर्सरी
प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर शुरू किए गए मिशन लाइफ और प्रो प्लेटनेट पीपुल बनने की सीख अनुभूति कैंप में दी जाती है। इसके जरिये छोटी-छोटी आदतों को बदलकर किस तरह पर्यावरण को संरक्षित किया जाता है उसके तरीके बताए जाते हैं। मसलन पॉलीथीन का उपयोग नहीं करना, ट्रैफिक नियमों का पालन करना, शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाना आदि शामिल है। इसका उद्देश्य नौनिहालों को प्रकृति और जंगल से कनेक्ट करना है। इन उद्देश्यों को हासिल करने के लिए वन मंत्री विजय शाह ने कैंप में आने वाले विद्यार्थियों के नाम पाती लिखी है, जिसमें जंगलों के महत्व को बताया गया है।
बच्चों को जंगल और वन्य प्राणियों के साथ ही पेड़ों के महत्व से रूबरू कराने के लिए इस साल भी अनुभूति कैंप का आयोजन किया गया है। इस साल 1.20 लाख बच्चों को जंगल में लगने वाली पाठशाला में लाने का लक्ष्य तय किया गया है। हमारा उद्देश्य नौनिहालों को प्रकृति से कनेक्ट करने के साथ ही संरक्षण के लिए तैयार करना है।
डॉ. समिता राजौरा, सीईओ मप्र ईको पर्यटन विकास निगम