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भोपाल

जंगल में पाठशाला: नौनिहालों को प्रकृति से रूबरू कराने की अनुभूति

-प्रदेशभर में डेढ़ महीने में 1.20 लाख बच्चे जल-जंगल-जमीन का समझेंगे महत्व-मप्र इकलौता राज्य जहां छह साल से बच्चों को जंगल की उपयोगिता बताने आयोजित होते हैं अनुभूति कैंप

भोपालJan 19, 2023 / 08:03 pm

manish kushwah

जंगल में पाठशाला: नौनिहालों को प्रकृति से रूबरू कराने की अनुभूति

जंगल में पाठशाला: नौनिहालों को प्रकृति से रूबरू कराने की अनुभूति

मनीष कुशवाह
भोपाल. मौजूदा समय में किताबों, फिल्मों या मौजूदा समय में मोबाइल फोन में जंगल, वन्य प्राणियों, पक्षियों समेत पेड़-पौधों को तो बच्चे देखते हैं, पर मप्र में विद्यार्थियों को अनुभूति शिविरों के जरिये प्रकृति के इस अनुपम सौंदर्य से रूबरू कराया जा रहा है। देश में मप्र इकलौता राज्य है, जहां वर्ष 2016 से स्कूल के विद्यार्थियों को मप्र की समृद्ध वन संपदा की अहमियत और इसे संरक्षित करने के लिए हर साल अनुभूति शिविर आयोजित करता है। कोरोना संक्रमण के कारण वर्ष 2020-21 को छोड़ दिया जाए तो अब तक प्रदेश के छह लाख से अधिक बच्चों को जंगल की पाठशाला के जरिये अलहदा अनुभूति कराई है। वर्ष 2022-23 में प्रदेशभर में 950 अनुभूति कैंप के जरिये 1.20 लाख बच्चों ने जंगल की पाठशाला में प्रकृति को संरक्षित करने का पाठ पढ़ाया जाएगा। 15 दिसंबर 2022 से 31 जनवरी तक प्रदेशभर के 475 वन परिक्षेत्रों में 950 अनुभूति कैंप आयोजित किए जाने का लक्ष्य तय है और अभी तक 700 से अधिक आयोजित किए जा चुके हैं। इन कैंप का आयोजन राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य और बफर जोन में भी किया जा रहा है। वर्ष 2021-22 में 1.90 लाख बच्चों ने इस पाठशाला में भागीदारी की थी।
ऐसी है ‘जंगल की पाठशाला’
जंगल की पाठशाला की खास बात है कि इसमें बच्चों को ज्यादा से ज्यादा प्रकृति के करीब लाया जाता है। इसके लिए छोटी पर अहम बातों का ध्यान रखते हैं, मसलन कैंप में शामियाने या टैंट का इस्तेमाल करने की बजाय पेड़ों की छांव में बैठाने के लिए दरियों का इस्तेमाल होता है। नाश्ता और खाना भी पत्तलों में परोसते हैं। प्रकृति पथ भ्रमण के जरिये जंगल की पगडंडियों से होते हुए पेड़-पौधों की विविधता और पक्षी दर्शन कराया जाता है। इसके अलावा वन्य जीवों, पेड़-पौधों की मानव जीवन में उपयोगिता को विस्तार से बताया जाता है। वन विभाग में तैनात अधिकारियों-कर्मचारियों के पद और उनके दायित्वों को समझाने के बाद पर्यावरण संरक्षण से संबंधित खेलों का आयोजन होता है। पाठशाला के अंतिम चरण में वनों के संरक्षण की शपथ दिलाई जाती है। वन समितियों के वन धन केंद्रों में निर्मित खाद्य सामग्री इन बच्चों को दी जाती है। साथ ही भोजन की व्यवस्था का जिम्मा स्थानीय वन समितियां संभालती हैं।
80 वन रक्षकों को कैंप के लिए विशेष प्रशिक्षण
अनुभूति कैंप में शासकीय विद्यालयों के कक्षा छह से 12वीं तक के बच्चों को शामिल किया जाता है। प्रत्येक 20 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक जरूरी है। जंगल और वन्य प्राणियों की संपूर्ण जानकारी के लिए ईको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड ने अनुभूति पुस्तिका तैयार की है, जिसमें मप्र में मौजूद 11 राष्ट्रीय उद्यान, 24 राष्ट्रीय अभयारण्य और छह टाइगर रिजर्व के बारे में बताया गया है। इसके साथ ही मप्र की पक्षियों की सभी प्रजातियों, मृग-हिरण, बिल्ली परिवार के बाघ, तेंदुआ, सिंह समेत तितलियों की जानकारी दी गई है। पुस्तिका में जलीय जीवों के संबंध में भी विस्तार से बताया है। अनुभूति कैंप में बच्चों को जानकारी देने के लिए प्रदेशभर के 80 वन रक्षकों को विशेष ट्रेनिंग दी गई है। कैंप में आने वाले बच्चों को ये इस पुस्तिका के अलावा वन उत्पाद की किट बतौर उपहार दी जाती है।
तैयार कर रहे मिशन लाइफ की नर्सरी
प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर शुरू किए गए मिशन लाइफ और प्रो प्लेटनेट पीपुल बनने की सीख अनुभूति कैंप में दी जाती है। इसके जरिये छोटी-छोटी आदतों को बदलकर किस तरह पर्यावरण को संरक्षित किया जाता है उसके तरीके बताए जाते हैं। मसलन पॉलीथीन का उपयोग नहीं करना, ट्रैफिक नियमों का पालन करना, शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाना आदि शामिल है। इसका उद्देश्य नौनिहालों को प्रकृति और जंगल से कनेक्ट करना है। इन उद्देश्यों को हासिल करने के लिए वन मंत्री विजय शाह ने कैंप में आने वाले विद्यार्थियों के नाम पाती लिखी है, जिसमें जंगलों के महत्व को बताया गया है।

बच्चों को जंगल और वन्य प्राणियों के साथ ही पेड़ों के महत्व से रूबरू कराने के लिए इस साल भी अनुभूति कैंप का आयोजन किया गया है। इस साल 1.20 लाख बच्चों को जंगल में लगने वाली पाठशाला में लाने का लक्ष्य तय किया गया है। हमारा उद्देश्य नौनिहालों को प्रकृति से कनेक्ट करने के साथ ही संरक्षण के लिए तैयार करना है।
डॉ. समिता राजौरा, सीईओ मप्र ईको पर्यटन विकास निगम

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