आतंकवाद-रोधी स्क्वायड और एनआईए ने हिज्ब-उत-तहरीर के 16 लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें से 11 अकेले मध्यप्रदेश से गिरफ्तार किए गए। ये सभी 19 मई 2023 तक पुलिस रिमांड पर हैं।
जैविक हथियारों की ट्रेनिंग पता करने में जुटी टीम
पूछताछ और जांच में यह बात सामने आई कि हिज्ब उत तहरीर एमपी में युवाओं को जंगल में ले जाकर हथियार चलाने का प्रशिक्षण दे रहा है। सर्विलांस से बचने के लिए इसके सदस्य बातचीत के लिए खास ऐप का इस्तेमाल करते हैं। अमेरिका की ग्लोबल एजुकेशन कम्युनिटी कोलैबरेशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि हिज्ब उत तहरीर जैविक और रासायनिक हथियार बनाने तथा चलाने का प्रशिक्षण भी देता है। इस रिपोर्ट के कारण यह आशंका हो रही है कि कहीं रायसेन के जंगलों में जैविक या रासायनिक हथियार बनाने व चलाने का प्रशिक्षण तो नहीं दिया गया। एटीएस और एनआइए की जांच में इस बिंदु पर सबसे ज्यादा जोर दिया जा रहा है।
एटीएस और एनआई ने गिरफ्तार आतंकियों से विस्फोटक सामग्री, तकनीकी उपकरण और कुछ साहित्य भी बरामद किया। एटीएस अधिकारियों के मुताबिक हिज्ब-उत-तहरीर के गिरफ्तार आतंकी हिंदू लड़कियों को लव जिहाद का शिकार बनाकर मुस्लिम बना रहे थे। इनके तार आतंकवाद से भी जुड़े हैं।
ऐसे करता है काम
संगठन के सदस्य सबसे पहले युवाओं को भड़काऊ तकरीरें सुनाते हैं।
फिर दिमागी तौर पर उन्हें जिहाद के लिए तैयार किया जाता है।
इसके बाद हथियार चलाने का प्रशिक्षण देने लगते हैं।
हिज्ब-उत-तहरीर दूसरे धर्म वालों को मुस्लिम भी बना रहा है।
इन युवकों को विशेषकर हिंदू लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाकर धर्म बदलने के लिए कहता है।
क्या है हिज्ब-उत-तहरीर का लक्ष्य?
हिज्ब-उत-तहरीर का लक्ष्य इस्लामी उम्माह यानि इस्लामी राष्ट्र बनाना है। संगठन की वेबसाइट में साफ कहा गया है कि कुफ्र यानि अल्लाह के राज को नहीं मानने वाले विचार और कानून—व्यवस्था को खत्म करना हिज्ब-उत-तहरीर का लक्ष्य है।
ये भी जानिए
हिज्ब-उत-तहरीर का गठन 1952 में यरुशलम में किया गया था।
इसका मुख्यालय लंदन में है।
संगठन का सबसे ज्यादा प्रभाव इंडोनेशिया में है।
दक्षिण एशिया और यूरोप में भी इसका कुछ प्रभाव है।