पश्चिमी रिंग रोड का निर्माण भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण एनएचएआइ द्वारा किया जा रहा है। रोड पर बने बूथ में सेंसर लगाए जाएंगे और फास्टैग से टोल राशि काटी जाएगी। इस रिंग रोड के माध्यम से वाहनों को इंदौर शहर में प्रवेश करने की बजाए बाहर से ही निकाल दिया जाएगा। इससे शहर में बढ़ते यातायात से उपजी जाम की बड़ी समस्या से भी निजात मिल सकेगी।
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पश्चिमी रिंग रोड के निर्माण में एनएचएआइ नया प्रयोग कर रहा है।
रिंग रोड पर वाहन चालकों को केवल उतना ही टोल टैक्स चुकाना होगा जितनी दूरी उन्होंने इस रोड पर तय की है। यहां टोल प्लाजा नहीं बनाए जाएंगे बल्कि रोड पर सेंसर संचालित बूथ बनाए जाएंगे।
रिंग रोड पर आए वाहनों को कैमरों से स्कैन कर लिया जाएगा और फास्टैग से निर्धारित शुल्क काट लिया जाएगा। यह पहली ऐसी सड़क होगी जिसमें टोल टैक्स वसूलने के लिए टोल प्लाजा नहीं होगा। रोड पर बने सेंसर युक्त बूथ के माध्यम से ही टोल लिया जाएगा।
यह रोड करीब दस जगहों से जोड़ी जाएगा। 64 किमी की रिंग रोड दो टुकडों में बनेगी। रामपुर से हातोद तक 34 किमी का हिस्सा और हातोद से क्षिप्रा तक 30 किमी की सड़क बनाई जाएगी। इंदौर जिले की पांच तहसीलों के 47 गांवों से यह रोड निकलेगी। मार्च में इसके टेंडर खोले जाएंगे। इसके तुरंत बाद रोड का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।