यह डिवाइस इंजन एवं रेलवे ट्रैक पर स्थापित की जाती है। रेलवे अंग्रेजों के जमाने में बनाए गए कुछ मैन्युअल फार्मूले भी हादसे रोकने के लिए इस्तेमाल कर रहा है। ये भी पढ़ें:
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दानापुर एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त होने से बची
14 अगस्त को ट्रेन नंबर 09063 वापी दानापुर एक्सप्रेस सागर पथरिया से भोपाल की ओर डाउन ट्रैक पर शाम 5:12 बजे रवाना हुई। गाड़ी अपनी अधिकतम गति लगभग 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से भोपाल की तरफ बढ़ रही थी। अचानक बगल वाले ट्रैक पर ओवरहेड एक्सटेंशन के बिजली के तार तेजी से ऊपर नीचे होने लगे। दानापुर एक्सप्रेस के लोकोमोटिव पायलट ने इमरजेंसी ब्रेक लगाना शुरू कर दिया। गाड़ी की स्पीड धीमी होने लगी तभी आगे अंधेरे में कोई फ्लेशर लाइट जलाता हुआ नजर आया। इमरजेंसी ब्रेक का दबाव बढ़ाकर गाड़ी को तुरंत रोक दिया गया। उतरकर नीचे देखा गया तो 500 मीटर आगे कोयले से लदी मालगाड़ी की कुछ डिब्बे दानापुर एक्सप्रेस के ट्रैक पर गिरे हुए थे। मालगाड़ी के ड्राइवर ने ही फ्लेशर लाइट जलाकर आपात सिग्नल दिया था जिससे दानापुर एक्सप्रेस के ड्राइवर ने देख लिया था।
ट्रेनों में इमरजेंसी ब्रेक
ट्रेनों में लगे इमरजेंसी ब्रेक, फ्लेशर लाइट, शटडाउन सिग्नल कुछ ऐसे तरीके के हैं जिन्हें आपात स्थिति में लोकोमोटिव पायलट सामने से आने वाली ट्रेन के ड्राइवर को सतर्क करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। हाल ही में दानापुर एक्सप्रेस को दुर्घटनाग्रस्त होने से बचाने में इन्हीं तरीकों का इस्तेमाल हुआ है। हादसा टालने के लिए रेलवे ने लोकोमोटिव पायलट सुनील श्रीवास्तव, उदय राज यादव सहायक लोकोमोटिव पायलट, संतोष कुमार लोधी ट्रेन मैनेजर को सम्मानित भी किया है। जोन के सभी लोकोमोटिव पायलट को अब इन तरीकों से अवगत कराया जा रहा है ताकि आपात स्थिति में नई तकनीक और पुराने तौर तरीकों का इस्तेमाल कर यात्रियों की सुरक्षा पुख्ता की जा सके।