भोपाल

कार एक्सीडेंट में चले गई थी इस भारतीय कप्तान की एक आंख, फिर भी 46 मैचों में दिलाई जीत

सीधे हाथ के बल्लेबाज और गेंदबाज इस खिलाड़ी को आज भी क्रिकेट प्रेमी याद करते हैं। विंचेस्टर स्कूल के इस छात्र ने स्कूल टीम में भी कप्तान करके सभी को है

भोपालJan 05, 2018 / 10:16 am

Manish Gite

 

भोपाल। भारतीय क्रिकेट टीम में सफलतम कप्तानों में माने जाने वाले इस सीधे हाथ के गेंदबाज और बल्लेबाज को क्रिकेट प्रेमी आज भी याद करते हैं। यह वहीं शख्स था जो 21 वर्ष की आयु में ही भारतीय टीम का कप्तान बन गया था। इसकी धुआधार बल्लेबाजी और आक्रामक गेंदबाजी देख लोग इसे टाइगर बोलने लगे थे।

इससे पहले विंचेस्टर स्कूल के इस छात्र ने स्कूल टीम में भी कप्तान करके सभी को हैरत में डाल दिया था। 16 साल की उम्र में भी ऑक्सफोर्ड के लिए खेलने वाले पहले भारतीय क्रिकेटर थे। एक कार दुर्घटना में कांच का टुकड़ा उनकी आंख में घुस गया, तो उनकी एक आंख हमेशा के लिए खराब हो गई थी। इसके बावजूद 6 महीने बाद ही वे दौबारा क्रिकेट की दुनिया में लौट आए।


कार एक्सीडेंट में एक आंख गंवाकर भी खेले 46 मैच
पत्थर की आंख लगने की बावजूद वे एक आंख से दुनिया देखते रहे। एक आंख से 46 इंटरनेशनल मैच खेले, जिनमें से 40 टेस्ट मैचों में कप्तानी की। लेकिन वे मरणोपरांत अपनी दूसरी आंख दान कर गए। यह उनकी आखिरी इच्छा थी, जो उनके परिवार के सदस्यों ने पूरी भी की। इस शख्स का जन्म भोपाल में हुआ था।

mp.patrika.com जाने माने क्रिकेटर नवाब मंसूर अली खान पटौदी के जन्म दिवस 5 जनवरी के मौके पर उनसे जुड़े दिलचस्प किस्से बता रहा है….।

 

 

अक्सर रहते थे सुर्खियों में
टाइगर पटौदी का जन्म 5 जनवरी 1941 को भोपाल में 5 जनवरी को हुआ था। 11 साल की उम्र में ही उनके पिता नवाब इफ्तियार अली खान पटौदी का निधन हो गया था। पिता की मृत्यु के बाद मंसूर अली खान नवाब पटौदी के नाम से जाने गए। लेकिन वे अपने क्रिकेट खेलने के अंदाज और जानी-मानी फिल्म अभिनेत्री शर्मिला टैगोर से प्रेम प्रसंग के कारण चर्चाओं में रहते थे। इसके बाद नवाब खानदान की प्रापर्टी को लेकर भी वे अक्सर चर्चाओं में रहे। भोपाल में जन्मे पटौदी 9वें नवाब बने थे।
 

नाना से मिली भोपाल की नवाबी
नवाब पटौदी के पिता इफ्तियार अली खान पटौदी हरियाणा के नवाब थे, लेकिन भोपाल की नवाबी उन्हें नाना के कारण प्राप्त हुई। उनके नाना हमीदुल्ला खान भोपाल के अंतिम नवाब थे। आजादी के बाद उनकी मां साजिदा सुल्तान नवाब बनीं और बाद में मंसूर अली खान ने नाना की विरासत संभाली। उनके नाना हमीदुल्ला खान की तीन बेटियां थीं।

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