scriptबढ़ते बाजारवाद के दौर में समाजवाद के भविष्य को अधकारमय मान लिया गया | In era of increasing marketism, the future of socialism was assumed to | Patrika News
भोपाल

बढ़ते बाजारवाद के दौर में समाजवाद के भविष्य को अधकारमय मान लिया गया

राज्य संग्रहालय में रघु ठाकुर की पुस्तकों का लोकार्पण
 

भोपालApr 29, 2019 / 08:21 am

hitesh sharma

NEWS

बढ़ते बाजारवाद के दौर में समाजवाद के भविष्य को अधकारमय मान लिया गया

भोपाल। वनमाली सृजन पीठ, समता ट्रस्ट और रवींद्रनाथ टैगोर विवि की ओर से समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर की सद्य प्रकाशित दो पुस्तक समाजवाद-संशय और उत्तर तथा स्याह उजाले काव्य संग्रह कालोकार्पण समारोह राज्य संग्रहालय में शनिवार को आयोजित किया गया।
इस अवसर पर वरिष्ठ कथाकार संतोष चौबे ने कहा कि जब समाजवाद के भविष्य और इसकी विश्व दृष्टि पर चौतरफा सवाल खड़े किए जा रहे हैं। बढ़ते बाजारवाद, उपभोक्तावाद व विचारहीनता के इस दौर में समाजवाद के भविष्य को अधकारमय मान लिया गया है। समारोह में बलराम गुमास्ता, रघु ठाकुर, मुकेश वर्मा समेत कई साहित्यकार मौजूद रहे।
इस अवसर पर वरिष्ठ कवि बलराम गुमास्ता ने कहा कि उनकी कविताओं में समाज के लिए समग्रता में चिंताएं परिलक्षित होती हैं। उनकी इन चिंताओं में समाज के लिए एक विनम्र सत्याग्रह समाहित है। उनकी कविताएं सामाजिक विद्रुपताओं पर प्रहार करती हैं। उनकी कविताएं मनुष्य की पक्षधरता के लिए नई उर्जा के स्रोत तलाशती नजर आती हैं।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए वरिष्ठ कथाकार और वनमाली सृजनपीठ के अध्यक्ष मुकेश वर्मा ने उनके काव्य संग्रह स्याह उजाले पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रघु ठाकुर की कविताओं में मानवीय पीड़ा को एक प्रमाणिक अंर्तवस्तु या मुख्य भाव की तरह मौजूद होता पाया जाता है, इसलिए उनके रचनाकर्म में जनव्यापी वेदना का हाहाकार और मानवीय मूल्यों की प्रतिष्ठा के लिए जनव्यारी पुकार अपनी पूरी तेजी और तल्खी से उभरकर आती है।
समाजवादी व्यवस्था में पूंजी को समाप्त नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माण में होगा उपयोग
इस अवसर पर रघु ठाकुर ने कहा कि समाजवादी व्यवस्था में पूंजी को समाप्त नहीं किया जाएगा, बल्कि पूंजी का उपयोग राष्ट्र निर्माण और विकास के लिए होगा। दरअसल समाजवाद पूंजीवादियों से जनता की पूंजी को बचाने की विचारधारा है। इस पूंजी को खतरा समाजवाद से नहीं बल्कि पूंजीवादियों व उनके विलासी उपयोग से है।

Hindi News / Bhopal / बढ़ते बाजारवाद के दौर में समाजवाद के भविष्य को अधकारमय मान लिया गया

ट्रेंडिंग वीडियो