जितेंद्र चौरसिया, भोपाल. आइएएस अफसर बी.चंद्रशेखर ने जबलपुर कमिश्नर रहते हुए नौकरी से वीआरएस लेने के लिए आवेदन दिया है। राज्य सरकार ने उन्हें बिना विभाग मंत्रालय में पदस्थ कर दिया है। चंद्रशेखर के आवेदन को दिल्ली मंजूरी के लिए भेज दिया गया। वे लेखन के लिए नौकरी छोड़ना चाहते हैं। ये कोई नया मामला नहीं है, इससे पहले भी अनेक आइएएस नौकरी छोड़ चुके हैं।
मध्यप्रदेश में वर्ष 2019 से 2023 तक चार वर्षों में छह आइएएस अफसरों ने नौकरी छोड़ी है। यूं तो आइएएस काडर ब्यूरोक्रेसी में सबसे पावरफुल नौकरी है, लेकिन ऐसे भी अफसर हैं, जो इस नौकरी को छोड़ देते हैं। इन अफसरों में से किसी की सरकार से पटरी नहीं बैठी तो किसी ने कारणों का खुलासा नहीं किया है। वर्ष 2016 में वीआरएस ले चुके आइएएस प्रवेश शर्मा तो स्टार्टअप चला रहे हैं।
प्रवेश शर्मा का अलहदा काम: सब्जीवालाडॉटकॉम मध्यप्रदेश काडर के आइएएस अफसर प्रवेश शर्मा ने 2016 में नौकरी छोड़ी थी। वे अब दिल्ली में सब्जीवालाडॉटकॉम स्टार्टअप चला रहे हैं। लंबे समय से दिल्ली में ही हैं। ‘सब्जीवाला’ ऐसा प्लेटफार्म है, जहां किसान से सीधे फल-सब्जी लेकर ग्राहकों के पास पहुंचाई जाती है।
आइएएस अफसर गौरी सिंह ने विवादों के बाद नौकरी छोड़ दी थी। वे अब एक इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन में जुड़ी हैं। गौरी सिंह कमलनाथ सरकार के समय महिला एवं बाल विकास विभाग में पोषण आहार को लेकर विवादों में आई थीं, इसके बाद उन्हें हटा दिया गया था। बताया जाता है कि वे सरकार के फैसले से नाखुश थीं। बाद में उन्होंने सरकार की बात मानने से इनकार कर दिया था। 2019 में नौकरी छोड़ने के बाद वे इंटरनेशनल संस्था में जुड़ गई।
वर्ष 2022 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले वरदमूर्ति मिश्रा राजनीति के अखाड़े में उतर चुके हैं। वरदमूर्ति मिश्रा ने जून 2022 में नौकरी छोड़कर वास्तविक भारत पार्टी बनाई। इस बार चुनाव लड़ेंगे। आलोक श्रीवास्तव ने जनवरी 2020 में वीआरएस लिया। अब कोल कंपनी में कार्यरत हैं। मनोहर अगनानी ने दिसंबर 2022 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली। फिलहाल एनजीओ चला रहे हैं। जगदीशचंद्र जटिया ने जुलाई 2022 में वीआरएस लिया था। तब से ज्यादा चर्चा में नहीं आए हैं।
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