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दाल बनाने में न करें ये गलती, प्रोटीन बेनेफिट के लिए जाने दाल बनाने का सही तरीका

मध्यप्रदेश में कुपोषण आज भी गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। कुपोषण से मौत के मामलों में यहां भले ही कमी आई हो, लेकिन स्थिति बहुत बेहतर नहीं है। ऐसे में एक्सपर्ट की सलाह कि बच्चों को एक कटोरी दाल भी रोज खाने को मिले तो वे हेल्दी रह सकते हैं। यहां पढ़ें दाल बनाने का सही तरीका साथ ही किस दाल के क्या हैं फायदे…

भोपालFeb 11, 2024 / 12:36 pm

Sanjana Kumar

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मध्यप्रदेश में कुपोषण आज भी गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। कुपोषण से मौत के मामलों में यहां भले ही कमी आई हो, लेकिन स्थिति बहुत बेहतर नहीं है। ऐसे में एक्सपर्ट की सलाह कि बच्चों को एक कटोरी दाल भी रोज खाने को मिले तो वे हेल्दी रह सकते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि दालें प्रोटीन का बड़ा स्रोत हैं। लेकिन उनसे मिलने वाला प्रोटीन तभी बॉडी में पहुंंचेगा जब उसे सही तरीके से पकाया जाएगा। दाल बनाने में की जाने वाली जरा सी गलती दाल का सारा प्रोटीन खत्म कर सकती है। अगर आप भी बच्चों को हर दिन प्राटीन डाइट के लिए दाल खिलाती हैं, तो इस खबर को पढ़कर चेक कर लें कि आप दाल किस तरीके से पकाती हैं, गलत या सही…

दाल, भारतीय थाली का अहम हिस्सा है। पोषक तत्त्वों से भरपूर दालें न केवल शरीर को बीमारियों से दूर रखती हैं, बल्कि उसे ऊर्जावान भी बनाए रखने में मदद करती हैं। दालों को प्रोटीन का अच्छा स्रोत माना जाता है। जानिए दालों की न्यूट्रिशन वैल्यू और किस-किस रूप में दाल खाई जा सकती है। हर साल दस फरवरी को विश्व दलहन दिवस दालों के महत्त्व को बताने के लिए मनाया जाता है।

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अरहर दाल

पोषक तत्त्व: प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम, सोडियम, फॉस्फोरस, कॉपर, सिलेनियम, जिंक और मैंगनीज।

प्रयोग विधि: इसे सब्जियों या पालक के साथ भी बनाया जा सकता है। सांभर की तरह बनाकर भी खा सकते हैं।

फायदा: वजन नियंत्रित करती। डायबिटीज रोगियों के लिए बेहतर। हृदय रोग का खतरा कम।

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मूंग दाल

पोषक तत्त्व: अमीनो एसिड, फाइबर, पोटैशियम, फॉस्फोरस, जिंक, मैग्नीशियम, कॉपर और मैगनीज।

प्रयोग विधि: खिचड़ी बना सकते। अंकुरित कर स्प्राउट्स चाट बना सकते हैं। मूंग की दाल का पानी सूप की तरह बनाकर पी सकते हैं।

फायदा: हीट स्ट्रोक में असरकारक, कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करती। हाई बीपी व डायबिटीज को कंट्रोल रखती है।

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उड़द दाल

पोषक तत्त्व: प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, विटामिन बी व फाइबर।

प्रयोग विधि: इस दाल से दही वड़ा बनाकर खा सकते हैं। उसके अलावा सांभर वड़ा बना सकते हैं। दक्षिण भारत में इस दाल का उपयोग इडली और डोसा बनाने में किया जाता है।
फायदा: हड्डियों की ताकत बढ़ती है। रक्त संचार को बेहतर करती है। शरीर ऊर्जावान बना रहता है।

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मसूर दाल

पोषक तत्त्व: ग्लाइसीमिक इंडेक्स कम, फाइबर, मैग्नीशियम व कैल्शियम।

प्रयोग विधि: चावल के साथ मिलाकर खिचड़ी बना सकते हैं। पकौड़े बनाए जा सकते हैं।

फायदा: डायबिटीज रोगियों के लिए असरदार है। कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रखती है। वजन कम करने में सहायक है। इम्यून सिस्टम को बेहतर करती है।

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राजमा

पोषक तत्त्व: विटामिन थियामिन, फाइबर, प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट।

प्रयोग विधि: टमाटर की ग्रेवी के साथ बना सकते हैं। चावल में अन्य सब्जियों के साथ डालकर पुलाव की तरह बना सकते हैं। टमाटर-प्याज के साथ राजमा की चाट बनाई जा सकती है।
फायदा: कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। शुगर का स्तर नियंत्रित रखता है।

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दाल पकाने का सही तरीका
– दाल को अच्छे से धो लें।
– अब उसे 4 घंटे के लिए भिगोकर रख दें
– बर्तन में दाल के साथ पानी और नमक डालकर धीमी आंच पर रखें
– शुरुआत में दाल में सफेद झाग दिखेंगे इन्हें बड़े चम्मच की हेल्प से निकालकर फेंक दें।
– 15-20 मिनट तक अच्छे से पकाएं।
– पकने के बाद स्वाद के लिए इसमें थोड़ा घी या तेल से तड़का भी लगा सकते हैं।
– ये तड़का आप अपनी और बच्चों की पसंद से़ लगा सकती हैं
– तड़का जीरा-हींग का हो सकता है, प्याज-जीरा हींग का, राई-जीरा-हींग,प्याज,साबुत लाल मिर्च का और लहसुन का भी हो सकता है
– ऐसे दाल बनाने से उसके सभी न्यू़ट्रिशन आपको अपने आहार में मिलेंगे
– दालें प्रोटीन रिच फूड में आती हैं
– एक कटोरी दाल में करीब 10 ग्राम प्रोटीन होता है

इसलिए रोजाना जरूरी है दाल

आप अपने वजन के प्रति किलो के हिसाब से एक ग्राम प्रोटीन का सेवन कर सकते हैं। अगर आपका वजन 60 किलो है तो 55 से 60 ग्राम प्रोटीन भोजन के जरिए ले सकते हैं। एक कटोरी दाल की बात करें तो उसमें करीब 10 ग्राम प्रोटीन होता है।

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