कार्यक्रम को संबोधित करने के लिए उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी बोलने पहुंचे तो उन्होंने कहा- मुझे अंग्रेजी नहीं आती। इसके बावजूद उन्होंने चंद लाइनें बोलीं। उन्होंने कहा- मिस्टर विंट, दिस टाइम आई एम वेरी नर्वस…आप हिंन्दी जानते हो क्या थोड़ा बहुत? आईएम नॉट कम्प्लीट इन इंग्लिश..मैं बैठे-बैठे सोच रहा था कि कोई केम्युनिकेट भी करो भाई कि मिस्टर विंट क्या कह रहे हैं। अब जैसी स्थिति मेरी है वैसी ही प्रदेश के छात्रों की भी होती होगी। लियाम विंट कैम्ब्रिज एसेसमेंट इंग्लिश के ग्लोबल नेटवर्क के उप निदेशक हैं।
इसके बाद आयुक्त राघवेन्द्र सिंह ने मिस्टर विंट को अंग्रेजी में ट्रांसलेट करके बताया कि उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी क्या कह रहे हैं। अंत में जीतू पटवारी इतना ही बोल पाए कि सो, थैक्स एंड वेलकम…आपका बहुत-बहुत स्वागत है। जय हिंद जय भारत।
उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त राघवेन्द्र सिंह ने बताया कि प्रदेशभर के 300 शिक्षकों को तीन महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी इसके बाद सभी सरकारी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में इच्छुक छात्रों को अंग्रेजी सिखाई जाएगी।
कार्यक्रम के बाद मंत्री जीतू पटवारी ने ट्वीट कर लिखा- पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर 11 जिलों के लगभग 200 शिक्षक और 2 हजार विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया जायेगा। विश्वविद्यालय अपने छात्रों के लिये कई तरह की परीक्षाएँ और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्य बिजनेस इंग्लिश सर्टिफिकेट बीईसी प्रदान करने में सक्षम होंगे। वर्तमान में आवश्यकतानुसार कम्युनिकेशन स्किल का विकास बहुत महत्वपूर्ण है। अंग्रेजी भाषा कौशल विकसित करने और रोजगार क्षमता बढ़ाने में मददगार साबित होगी। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के साथ 2 वर्ष के लिये किये गये एमओयू से विश्वविद्यालयों के शिक्षकों और विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया जायेगा। सभी परीक्षाएं और अर्हताएं कॉमन यूरोपियन फ्रेमवर्क ऑफ रिफ्रेंस से जुड़ी हैं, जो भाषा के मूल्यांकन का एक वैश्विक मानक है। इससे विद्यार्थियों को निजी क्षेत्र में बहु-राष्ट्रीय कम्पनियों एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रोजगार के अधिक अवसर प्राप्त हो सकेंगे।
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में दिए गए हलफनामे के अनुसार, जीतू पटवारी ने 1994 में बीए और 1997 में एलएलबी हानर्स की डिग्री इंदौर के आर्ट एंड कामर्स कॉलेज से पूरी की है।
कैबिनेट मंत्री इमरती देवी को गणतंत्र दिवस कार्यक्रम के दौरान उस समय असहजता का सामना करना पड़ा था जब वह अपना भाषण नहीं पढ़ पाईं। बाद में उन्होंने पास में खड़े जिले के कलेक्टर को बुलाया और उन्हें ही भाषण पढ़ने के लिए दे दिया था।