जबलपुर हाईकोर्ट ने उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती 2018 की चयन प्रक्रिया की वस्तुस्थिति प्रस्तुत करने के लिए कहा है। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने इसके लिए जनजातीय विभाग व स्कूल शिक्षा विभाग को निर्देश जारी किए। न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी ने इसके लिए 15 दिन की मोहलत दी है।
यह भी पढ़ें— Honey Trap Case – बड़े नेताओं, अफसरों के हनी ट्रैप केस में कोर्ट का बड़ा फैसला, कमलनाथ ने भी देखी थी क्लिप इस संबंध में दायर की गई दो लोगों की याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई के बाद अहम फैसला सुनाया। छतरपुर के निर्मल तलिया और अशोकनगर के राजकुमार अहिरवार की याचिका पर उनके अधिवक्ताओं ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा।
अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि याचिकर्ताओं के दस्तावेज सत्यापन कराए जाने के बाद भी उन्हें स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा नियुक्ति नहीं दी गई। विभाग ने शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं की, इसे अधूरी ही छोड़ दिया गया है। शिक्षक भर्ती के लिए अनेक उम्मीदवार पिछले 5 सालों से नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं। इनमें से कई उम्मीदवार आयु सीमा पार कर चुके हैं।
याचिकाकर्ताओं की ओर से हाईकोर्ट MP High Court को प्रदेश के स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों के बारे में भी बताया गया। कोर्ट को बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग में प्रवर्ग परिवर्तन और अमान्य प्रकरणों के बाद कुल 5935 पद खाली हैं। प्रदेश के जनजातीय कार्य विभाग में भी शिक्षकों के 77 पद खाली हैं।
कोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने कहा कि शिक्षकों के इन खाली पदों को संयुक्त काउंसलिंग के बाद मापअप राउंड में भरा जाना था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इस मामले में राज्य सरकार ने भी अपना पक्ष प्रस्तुत किया। सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि शिक्षक भर्ती की चयन प्रक्रिया पूरी हो गई है। सरकार ने यह भी कहा कि अभी तक एक भी नियुक्ति नहीं दी गई है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने चयन प्रक्रिया की वस्तुस्थिति प्रस्तुत करने के लिए 15 दिन की मोहलत दी है।