Health News: राजधानी भोपाल के करीब 20 प्रतिशत लोगों को कब्ज की शिकायत है। उनका पेट साफ नहीं रहता इसलिए वे आलस्य और मानसिक तनाव में रहते हैं। क्रॉनिक कॉन्स्टिपेशन (कब्ज) की वजह के 60 से 70 फीसदी मामलों में मलाशय और बड़ी आंत के बीच का खराब कोऑर्डिनेशन जिम्मेदार है।
जिसकी मुख्य वजह मल को लंबे समय तक रोके रखना है। अब तो इसके शिकार बच्चे भी हो रहे हैं जो दो-दो दिन तक टॉयलेट नहीं जाते। चिकित्सकों का कहना है कि सेहत का रास्ता आंत से होकर जाता है इसलिए आंतों की सफाई जरूरी है।
बच्चे भी नहीं हो रहे फ्रेश
चिकित्सकों के अनुसार अब बच्चे देर से सोकर उठते हैं। स्कूल की जल्दी में वे सुबह फ्रेश नहीं होते और कक्षा में शौच को रोक कर बैठे रहते हैं। कमोबेश इसी तरह की स्थिति कुछ वयस्कों की भी है। वे लंबे समय तक बाथरूम में बैठ कर फोन चलाते हैं। ऐसे लोग कब्ज की बीमारी को जन्म देते हैं। क्योंकि जब बड़ी आंत में मलाशय देर तक रुकता है वहां की मसल्स का मलाशय की मसल्स के साथ कोऑर्डिनेशन कमजोर होने लगता है।
राजधानी के लोगों में कब्ज की समस्या बढ़ी है। खराब लाइफ स्टाइल इसकी वजह है। सौ में से 20 व इससे ज्यादा लोगों का दो से तीन दिन बाद पेट साफ होता है। इसे नजरअंदाज करना गलत है। कम फिजिकल एक्टिविटी, पुरानी सर्जरी, फास्ट फूड का सेवन, लंबे समय तक मल रोके रखना लोगों को पेट का रोगी बना रहा है।
डॉ. प्रणव रघुवंशी, वरिष्ठ गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट, भोपाल
क्यों जरूरी है आंतों की सफाई
● आंत का नियंत्रण आंतरिक तंत्रिका तंत्र करता है। ये एक स्वतंत्र तंत्रिका तंत्र है जिसका कामकाज केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से बिलकुल अलग होता है।
● व्यक्ति की रोग-प्रतिरोधक क्षमता के लिए आंतों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। ● आंत में अरबों की संख्या में माइक्रोब्स काम करते हैं। जो शरीर को रोगाणुओं से बचाते हैं, भोजन से शरीर को ऊर्जा देती हैं।
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