आरोप : बुजुर्ग के शव को चूहों ने नहीं कुतरा था, अस्पताल ने किडनी और रेटीना निकाले थे
[typography_font:14pt;” >केमिकल के इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया था फैसला
स्वास्थ्य आयुक्त द्वारा जारी निर्देश में ये स्पष्ट रूप से कहा गया है कि, रासायनिक रोगाणु-नाशक द्रव्यों का इस्तेमाल कोरोना के संदिग्ध अथवा पुष्ट रोगियों के उपयोग और बार-बार सम्पर्क में आने वाले स्थलों और सतहों पर ही किये जाने की अनुशंसा की गई है। किसी भी परिस्थिति में लोगों और समूहों पर रोगाणु-नाशक द्रव्यों के छिड़काव की अनुशंसा नहीं की गई है।
पढ़ें ये खास खबर- उपचुनाव का रण : प्रचार के दौरान कोरोना नियम तोड़ना पड़ेगा राजनीतिक दलों को भारी, महामारी एक्ट के तहत होगी कार्रवाई
केमिकल का छिड़काव साबित हो सकता है हानिकारक
रोगाणु-नाशक रासायनिक द्रव्य रोग बढ़ाने वाले कीटाणुओं और अन्य हानिकारक सूक्ष्म विषाणुओं को भी नष्ट कर देता है। रोगाणु-नाशक रासायनिक द्रव्यों के तीव्र रासायनिक गुण-धर्म को ध्यान में रखते हुए इन द्रव्यों और रसायनों का इस्तेमाल निर्जीव वस्तुओं को संक्रमण मुक्त रखने के लिये किया जाता है। कोविड-19 के संदिग्ध अथवा पॉजिटिव व्यक्तियों की बाहरी त्वचा पर रोगाणु-नाशक छिड़काव करने से कोई फायदा नहीं होता, क्योंकि शरीर में प्रवेश कर चुके वायरस पर इन द्रव्यों का कोई असर नहीं होता। इसके कोई वैज्ञानिक प्रमाण भी अब तक सिद्ध नहीं हुए हैं।
पढ़ें ये खास खबर- बेटी की गुमशुदगी दर्ज कराने गए थे तो पुलिस ने भगा दिया था, अब तालाब में मिला अर्धनग्न शव, दुष्कर्म के संदेह में हंगामा
क्लोरीन के छिड़काव से नष्ट होता है कोरोना वायरस?
क्लोरीन के छिड़काव के दौरान सम्पर्क में आने से आंखों और त्वचा पर जलन होने का खतरा बढ़ जाता है। पाचन प्रक्रिया पर दुष्प्रभाव और सोडियम हाइपोक्लोराइट रसायन के इन्हेल करने से नाक, गला और श्वसन तंत्र में भी जलन पैदा हो सकती है। इन्हीं तथ्यों को आधार मानते हुए निर्देश जारी किये गए हैं।