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भोपाल

कोरोना से बचने के लिए क्या आप भी इस्तेमाल करते हैं ये केमिकल? बेहद काम की है ये एडवाइजरी

कमिश्नर हेल्थ ने एडवाइजरी जारी करते हुए मध्य प्रदेश के सभी कलेक्टर, नगर निगम कमिश्नर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और सिविल सर्जन आदि संबंधित सभी अधिकारियों को निर्देशित किया है। जानिए क्या कहते हैं निर्देश?

भोपालOct 05, 2020 / 10:48 pm

Faiz

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कोरोना से बचने के लिए क्या आप भी इस्तेमाल करते हैं ये केमिकल? बेहद काम की है ये एडवाइजरी

भोपाल/ दुनियाभर की तरह मध्य प्रदेश में भी कोरोना वायरस तेजी से अपने पाव रहा है। संक्रमण की रोकथाम के लिए कई लोग केमिकल युक्त स्प्रे और हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते हैं। कमिश्नर हेल्थ की ओर से एडवाइजरी जारी करते हुए मध्य प्रदेश के सभी कलेक्टर, नगर निगम कमिश्नर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और सिविल सर्जन आदि संबंधित सभी अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि, मनुष्यों पर किसी भी परिस्थिति में डिसइन्फेक्टेड, रोगाणु-नाशक द्रव्यों का छिड़काव करना हानिकारक साबित हो सकता है। शासन स्तर पर ऐसा करने पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना माना जाएगा।

 

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स्वास्थ्य आयुक्त द्वारा जारी निर्देश में ये स्पष्ट रूप से कहा गया है कि, रासायनिक रोगाणु-नाशक द्रव्यों का इस्तेमाल कोरोना के संदिग्ध अथवा पुष्ट रोगियों के उपयोग और बार-बार सम्पर्क में आने वाले स्थलों और सतहों पर ही किये जाने की अनुशंसा की गई है। किसी भी परिस्थिति में लोगों और समूहों पर रोगाणु-नाशक द्रव्यों के छिड़काव की अनुशंसा नहीं की गई है।

रोगाणु-नाशक रासायनिक द्रव्य रोग बढ़ाने वाले कीटाणुओं और अन्य हानिकारक सूक्ष्म विषाणुओं को भी नष्ट कर देता है। रोगाणु-नाशक रासायनिक द्रव्यों के तीव्र रासायनिक गुण-धर्म को ध्यान में रखते हुए इन द्रव्यों और रसायनों का इस्तेमाल निर्जीव वस्तुओं को संक्रमण मुक्त रखने के लिये किया जाता है। कोविड-19 के संदिग्ध अथवा पॉजिटिव व्यक्तियों की बाहरी त्वचा पर रोगाणु-नाशक छिड़काव करने से कोई फायदा नहीं होता, क्योंकि शरीर में प्रवेश कर चुके वायरस पर इन द्रव्यों का कोई असर नहीं होता। इसके कोई वैज्ञानिक प्रमाण भी अब तक सिद्ध नहीं हुए हैं।

क्लोरीन के छिड़काव के दौरान सम्पर्क में आने से आंखों और त्वचा पर जलन होने का खतरा बढ़ जाता है। पाचन प्रक्रिया पर दुष्प्रभाव और सोडियम हाइपोक्लोराइट रसायन के इन्हेल करने से नाक, गला और श्वसन तंत्र में भी जलन पैदा हो सकती है। इन्हीं तथ्यों को आधार मानते हुए निर्देश जारी किये गए हैं।

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