बारिश में सहज उगने वाला लाल व सफेद रंग में मिलने वाला पौधा जिसे ओंगा, लटजीरा, चिरचिटा कहते हैं। यह आयुर्वेद तन्त्र व दैनिक उपयोग के लिए विशेष महत्व रखता है। साथ ही कई बीमारियों को भी दूर करने की ताकत रखता है ये पौधा।
अपामार्ग की राख में 13 प्रतिशत चूना 4 प्रतिशत, लोहा 30 प्रतिशत, क्षार 7 प्रतिशत, शोराक्षार 2 प्रतिशत, नमक 2 प्रतिशत गन्धक और 3 प्रतिशत मज्जा तन्तुओं के उपयुक्त क्षार रहते हैं। इसके पत्तों की राख की अपेक्षा इसकी जड़ की राख में ये तत्व अधिक पाए जाते हैं। यह पौधा एक से तीन फुट ऊंचा होता है और भारत में सब जगह घास के साथ अन्य पौधों की तरह पैदा होता है। जानिए क्या होते हैं इसके फायदे…..
– इसकी जड़, बीज, पत्ते और पूरा पौधा (पंचाग) ही प्रयोग में लिया जाता है। ‘अपामार्ग क्षार तेल’ इसी से बनाया जाता है। यह जड़ी इतनी उपयोगी है कि आयुर्वेद में भी इसका उपयोग किया जाता है।
– बिजनेस में उन्नति पाने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है। अगर आपके व्यापार में लगातार हानि हो रही है तो आप रवि पुष्य नक्षत्र में श्वेत अपामार्ग को अपने व्यवसायिक स्थल पर रख दें। ऐसा करने से किसी भी प्रकार का किया गया तन्त्र निष्फल हो जाता है जिससे व्यापार में वद्धि होने लगती है।
– अगर लाख प्रयास करने के बाद भी आपको संतान प्राप्ति नहीं हो रही है तो लाल अपामार्ग की जड़ को जलाकर बनाकर गई भस्म को गाय के दूध से नियमित सेवन करने से बाधायें दूर होती है और शीघ्र ही सन्तान प्राप्त होती है।
– अपामार्ग के फल का चूर्ण लेने से कफ रोग में लाभ मिलता है।
– श्वेत अपामार्ग की जड़ को अपने पास रखने से धन की बरक्कत होती है एवं घर की आर्थिक स्थिति अच्छी बनी रहती है।
– अपामार्ग की पत्तियों को गुड़ में मिलाकर खाने हर प्रकार का ज्वर ठीक हो जाता है।
– अगर आप दांत के रोग से परेशान है तो अपामार्ग के पौधे को जलाकर उसकी भस्म बनायें फिर नियमित रूप से अपने दांतों पर मलें। ऐसा करने से दान्त रोग नष्ट हो जाते है।
नोट- इसको उपयोग में लाने से पहले किसी आयुर्वेद डॉक्टर से परामर्श जरूर ले लें।