मामले की जांच में जुटी पिपलानी पुलिस का कहना है कि सभी आरोपी जुए की लत में बर्बाद हैं। इन्हें कसीनो जाने की लत थी। हालांकि, पकड़े गए पांच आरोपियों के अलावा भी इस घोटाले में लिप्त थे, जिनकी तलाश की जा रही है। पुलिस के मुताबिक, कंपनी की इंद्रपुरी शाखा के मैनेजर रामसेवक ने 26 फरवरी को पिपलानी थाने में शिकायत की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि निलंबित ब्रांच मैनेजर संजय सैनी और असिस्टेंट मैनेजर अजय पाल सिंह राजपूत ने पिछले 1 साल में शाखा से 4 करोड़ 43 लाख पांच हजार 490 रुपए का गबन किया है। दोनों ने ग्राहकों के गिरवी रखे सोने और बैंक की रकम में हेराफेरी की है। शिकायत पर पुलिस ने अपराध क्र. 142/2024 धारा 409, 420, 120 बी भादवि में केस दर्ज कर जांच शुरु की।
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मामले को गंभीरता से लेते हुए भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायणाचारी मिश्र ने प्रभारी अति. पुलिस आयुक्त अवधेश गोस्वामी और पुलिस उपायुक्त अपराध श्रृतकीर्ति सोमवंशी को जरूरी दिशा निर्देश दिए। साथ ही केस क्राइम ब्रांच को सौंपा गया। इसके बाद अति. पुलिस आयुक्त शैलेन्द्र सिंह चौहान और सहायक पुलिस आयुक्त अपराध मुख्तार कुरैशी ने थाना प्रभारी अशोक मरावी के नेतृत्व में टीम गठित की गई। साथ ही आरोपियों को दबोचने के लिए पुलिस ने जाल बिछाया। जांच के बीच ब्रांच मैनेजर संजय सैनी, सहायक प्रबंधक अजय पाल सिंह राठौर, रविशंकर राजपूत, संदीप पटेल और फरहान खान को अलग-अलग इलाकों से दबोचा गया।
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बताया जा रहा है कि कंपनी का ब्रांच मैनेजर संजय सैनी शहर के गौतमनगर इलाके में किराए के मकान में रहता है। उसके पड़ोस में ही नरसिंहपुर का रविशंकर राजपूत भी रहता है। रविशंकर पिछले 3 साल से मोबाइल पर गैंबलिंग एप, कसीनो, तीन पत्ती, रम्मी खेल रहा था। वो शान से रहता था। उसे देख संजय सैनी खासा प्रभावित हुआ। देखा-देखी में उसे भी इस खेल की लत लग गई। शुरू में संजय सैनी ने 10-10, 20-20 हजार रुपए रविशंकर राजूपत को बैटिंग के लिए दिए। इसमें जीतने पर उनका लालच और बढ़ गया। इसके बाद सैनी ने कंपनी की ब्रांच से पैसे निकालकर जुए में लगाना शुरु कर दिए।
आरोपी ब्रांच मैनेजर ने कंपनी का घांटा कवर करने के लिए शाखा में ग्राहकों के रखे सोने के आभूषणों में हेर-फेर करनी शुरू कर दी। देखते ही देखते आरोपी ने 4 करोड़ से ज्यादा की हेराफेर कर दी। रविशंकर ने संजय सैनी के मोबाइल में करीब 15 आईडी बनाई थीं। आरोपी संजय सैनी के अनुसार जो ग्राहक रकम देकर अपना गोल्ड ले जाते थे, उस रकम को वो ब्रांच में जमा न करते हुए जुए में लगा देते थे। इसी तरह कई ग्राहकों के बैंक में रखे गए गोल्ड में हेराफेरी कर अपने परिजन के नाम पर भी फर्जी गोल्ड लोन निकाल लेता था। इस तरह उसने अलग अलग बार में एक से चार लाख रुपए तक निकालकर ऑनलाइन गैंबलिंग में लगा दिए। इसमें उसका असिस्टेंट अजय पाल सिंह भी मददगार था।