हमीदिया में आग लगने के बाद मासूमों को बर्न वार्ड और आई वार्डों में शिफ्ट किया गया। मंगलवार को दोपहर में हालात का जायजा लेने पत्रिका प्रतिनिधि बर्न वार्ड के सामने पहुंचा। बाहर बैठे लोगों ने उन्हें घेर लिया और वे मांग करने लगे कि साहब, मुझे मेरा बच्चा दिलवा दो। गुना से आई सरोज बिलखने लगी, वह बोली मेरी सात बेटियों के बाद बेटा हुआ है। उसे निमोनिया हुआ तो गुना के निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। उन्होंने हमीदिया में रेफर कर दिया। 9 दिन से बच्चा यहां भर्ती है। आग लगने के बाद हम विनती कर रहे हैं कि मेरे बच्चे को डिस्चार्ज कर दो, हम निजी अस्पताल में इलाज करा लेंगे, लेकिन अब प्रबंधन ने मना कर दिया गया है। डॉक्टर का कहना है कि उसकी पल्स रेट अभी ठीक नहीं है। बच्चा सर्जरी से पैदा हुआ। मां के तो टांके भी नहीं कटे हैं। उसके साथ पति मुन्ना, उसकी मां, देवर आदि भी रुके हुए हैं। वे बताते हैं कि हादसे के बाद एक बार बच्चे को दिखाया है, लेकिन कब, क्या खबर आ जाए कहा नहीं जा सकता। पत्रिका प्रतिनिधि ने भी किसी जिम्मेदार से बात करना चाही लेकिन वार्ड से कोई बाहर नहीं आया।
Hamidia Fire Case : ये कहानी बताती हैं कैसे छुपाया जा रहा मासूम बच्चों की मौत का सच
मां का दर्द: फिर बच्चा कैसे मर गया
बर्न वार्ड के गेट के पास बैठे जगदीश नाम के व्यक्ति से नर्स ने कुछ कहा और वह दौड़कर वार्ड में अंदर चला गया। इसके बाद बाहर आकर बिलखने लगा। उसकी मां तुरंत खड़ी हो गई और चिल्लाने लगी कि हमारा बच्चा सुबह तक तो ठीक था तो वह कैसे मर गया। आपने हमसे जो कहा वह सब हमने लाकर दिया। सुबह ही आपके कहने पर हमने ब्लड मुश्किल से लाकर दिया फिर बच्चा कैसे मर गया। यहां लापरवाही हुई है। हमें हमारा बच्चा जिंदा चाहिए। यहां सबके खिलाफ कार्रवाई होना चाहिए।