जीएसटी विभाग ने व्यवसायिक इमारत के निर्माण के बाद उसकी बिक्री या किराए पर देने के मामले में किसी भी तरह का इनपुट टेक्स क्रेडिट देने से इंकार कर दिया था। इसके विरोध में आई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुरुवार को जीएसटी को टेक्स क्रेडिट देने का आदेश दिया गया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय के बाद पूरे प्रदेश के साथ राजधानी भोपाल और इंदौर में भी खुशी जताई जा रही है। व्यवसायिक भवनों के किराएदारों ने राहत की सांस ली।
यह भी पढ़ें : एमपी में सस्ते फ्लैट, डूपलेक्स की बहार, 5 हजार रेडी टू पजेशन प्रॉपर्टी के लिए लगी लाइन सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि व्यवसायिक भवन भी प्लांट की तरह हैं। ऐसे भवन बेचने या किराए पर देने पर जीएसटी द्वारा टेक्स क्रेडिट नहीं देना गलत है।
व्यावसायिक इमारत बनाकर किराए पर देने वालों के कंधों से टैक्स का बोझ कम होने जा रहा है। इन इमारतों के निर्माण पर उनके द्वारा चुकाए गए जीएसटी का बड़ा हिस्सा वे वापस हासिल कर सकेंगे। उन्हें निर्माण के दौरान चुकाए गए टैक्स का आगे क्रेडिट मिल सकेगा। यानी आगे की टैक्स देनदारी में वे उसे समायोजित कर सकेंगे।
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राजधानी भोपाल के सीए, कर सलाहकार और अधिवक्ताओं के अनुसार जीएसटी का यह नियम विसंगतिपूर्ण था। एक ओर जहां निर्बाध इनपुट टेक्स क्रेडिट देने को जीएसटी कानून की मुख्य विशेषता बताया जा रहा है वहीं इसके उलट किसी भवन को बनाने के बाद बेचने या किराए पर देने पर उसपर टेक्स क्रेडिट नहीं दिया जा रहा था।
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व्यवसायिक भवन बनाने में लगने वाले सामान जैसे सीमेंट, सरिया, सेनेटरी फिटिंग्स, मजदूरी आदि पर निर्माणकर्ता, सरकार को टेक्स चुकाता है। भवन का निर्माणकर्ता इसी टेक्स का क्रेडिट मांग रहा था जो सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया है। टेक्स क्रेडिट मिलने से भवन की लागत कम होगी जिसका लाभ अंतत: किराएदारों को मिलेगा।