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एजेंसी इस आधार पर बनाएगी जोनल मास्टर प्लान
जोनल मास्टर प्लान के तहत सेंचुरी में किन चीजों की कमी है, क्या क्या नेचुरल व्यवस्थाएं की जा सकती है, ये भी एजेंसी द्वारा नोट किया जाएगा। इसके साथ ही, सेंचुरी के भीतर जितनी भी खदानें चल रही हैं स्पष्ट रिकॉर्ड तैयार करके उन्हें बंद किया जाएगा, ताकि इलाकें को पूरी तरह संरक्षित किया जा सके। इसके अलावा, सेंचुरी के आसपास बने उन कारखानों को बंद किया जाएगा या भविष्य में ऐसे कारखाने खोलने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जिनसे प्रदूषण बढ़े। साथ ही जोनल प्लान बनने के बाद किसी भी तरह के निर्माण की अनुमति मॉनिटरिंग कमेटी की अनुमति लेना होगी। संभागायुक्त कल्पना श्रीवास्तव ने बताया कि राज्य सरकार ने ज्यादातर सेंचुरी और नेशनल पार्क का ईको सेंसेटिव जोन घोषित कर दिया है। रातापानी सेंचुरी के अलावा सिंगघोरी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी को भी इसमें शामिल किया गया है।
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने घोषित किया था इको सेंसेटिव जाेन
आपको याद दिला दें कि, कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी राज्यों को आदेश दिया था कि, वो अपने संरक्षित क्षेत्रों के दो किमी के दायरे में इको सेंसेटिव जाेन घोषित करें। ताकि, जितना हो सके प्रकृति को संरक्षित रखा जा सके। आदेश के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने सूबे की 16 सेंचुरियों और टाइगर रिजर्व के 100 मीटर से लेकर दो किमी के दायरे को इको सेंसेटिव जोन घोषित कर दिया था। इसके लिए जोनल मास्टर प्लान तैयार कराए गए थे। चूंकि अभी रातापानी सेंचुरी का मास्टर प्लान नहीं बना है। इसका निपटारा जल्द से जल्द हो इसलिए इसका काम निजी एजेंसी को सौंपा गया है।
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जोनल मास्टर प्लान बनाने का कारण
वन विभाग के अफसरों ने बताया कि जोनल मास्टर प्लान बनाने की वजह सेंचुरी के भीतर पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना, जंगली जानवरों के रहने के लिए बेहतर और स्वस्थ्य वातावरण तैयार करना है। इसके साथ ही इलाके से विलुप्त हो रहीं प्रजातियों को बचाने के सुझाव भी इस मास्टर प्लान में शामिल होंगे। इसके अलावा, यहां बसे ग्रामीणों और जंगली जानवरों के बीच संघर्ष को रोकना, स्थानीय रहवासियों को पर्यावरण के लिए जागरुक करना और यहां पर इको टूरिज्म को बढ़ावा देना शामिल रहेगा।