ब्लॉकेज हटाने की नई तकनीक
हार्ट अटैक का सबसे बड़ा कारण ब्लॉकेज होता है। दरअसल, दिल की मुख्य नसों में कैल्शियम जम जाता है, जो पत्थर जैसा कठोर होता है। इससे नस में रक्त का प्रवाह बंद हो जाता है। नतीजतन हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है। अब तक इस कैल्शियम को हटाने के लिए ड्रिल तकनीक (रोटा एबलेशन) का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इसमे खतरा रहता है। लेकिन, अब कैल्शियम को हटाने के लिए लेजर तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. विवेक त्रिपाठी के मुताबिक इस तकनीक से पिन पाइंट पर अटैक कर कैल्शियम हटाया जा सकता है।
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इस स्टेंट से नहीं कोई खतरा
ब्लॉकेज को दूर करने के लिए सबसे प्रचलित तरीका स्टेंट डालना है। लेकिन, स्टेंट की जरूरत दो से तीन साल तक ही होती है। एेसे में हार्ट में लगे स्टेंट की जरूरत खत्म हो जाती है पर इसे जीवनभर शरीर के अंदर रखना पड़ता है। इसलिए इसके दुष्प्रभावों से बचने मरीज को खून पतला करने वाली दवाएं लेनी होती है। हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. सुब्रोतो मंडल के मुताबिक अब धातु नहीं पॉलीमर के धागों से बने स्टेंट का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसकी खासियत यह है कि यह अपने आप ही घुल जाएगा। इस स्टेंट से न तो दुष्प्रभावों का खतरा रहता है न ही जीवनभर दवाएं खाने की जरूरत।
दिल के पूरी तरह खराब होने पर प्रत्यारोपण ही एकमात्र उपचार है, लेकिन अब तक देश में नाममात्र के हार्ट ट्रांसप्लांट हो रहे हैं। एेसे मंे अब आधुनिक तकनीक से मिनिएचर पंप डिवाइस, एलवीएडी (लेफ्ट वेंट्रिक्यूलर असिस्ट डिवाइस) का इस्तेमाल किया जाता है। यह डिवाइस मरीज के खराब हुए दिल के साथ काम कर उसे प्रत्यारोपण किए जाने तक सपोर्ट करती है। एलवीएडी सर्जरी द्वारा लगाया गया मैकेनिकल पंप है, जो दिल से जुड़ा रहता है। उसे पॉकेट में रख सकते हैं। इसे बैटरी से चार्ज करते हैं। एलवीएडी कृत्रिम हृदय से अलग होता है। कृत्रिम हृदय खराब होते दिल को पूरी तरह से रिप्लेस कर देता है, जबकि एलवीएडी दिल के साथ काम करके दिल को कम मेहनत से अधिक रक्त पंप करने में मदद करता है।