इस दिन एमपी नगर स्थित गायत्री शक्तिपीठ में यह दिवस धूमधाम से मनाया जाएगा। इस मौके पर मंदिर में कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। ऐसे करें मां गायत्री की उपासना…
पंडित सुनील शर्मा का कहना है कि गायत्री की उपासना तीनों कालों में की जाती है, प्रात: मध्याह्न और सायं। तीनों कालों के लिए इनका पृथक्-पृथक् ध्यान है।
– प्रात:काल ये सूर्यमण्डल के मध्य में विराजमान रहती है। उस समय इनके शरीर का रंग लाल रहता है। ये अपने दो हाथों में क्रमश: अक्षसूत्र और कमण्डलु धारण करती हैं। इनका वाहन हंस है तथा इनकी कुमारी अवस्था है। इनका यही स्वरूप ब्रह्मशक्ति गायत्री के नाम से प्रसिद्ध है। इसका वर्णन ऋग्वेद में प्राप्त होता है।
– मध्याह्न काल में इनका युवा स्वरूप है। इनकी चार भुजाएं और तीन नेत्र हैं। इनके चारों हाथों में क्रमश: शंख, चक्र, गदा और पद्म शोभा पाते हैं। इनका वाहन गरूड है। गायत्री का यह स्वरूप वैष्णवी
शक्ति ? का परिचायक है। इस स्वरूप को सावित्री भी कहते हैं। इसका वर्णन यजुर्वेद में मिलता है।
– सायं काल में गायत्री की अवस्था वृद्धा मानी गई है। इनका वाहन वृषभ है तथा शरीर का वर्ण शुक्ल है। ये अपने चारों हाथों में क्रमश: त्रिशूल, डमरू, पाश और पात्र धारण करती हैं। यह
रुद्र शक्ति की परिचायिका हैं इसका वर्णन सामवेद में प्राप्त होता है।
पंडित शर्मा का कहना है कि शास्त्रों के अनुसार गायत्री
मंत्र को वेदों का सर्वश्रेष्ठ मंत्र बताया गया है। इसके जप के लिए तीन समय बताए गए हैं। गायत्री मंत्र का जप का पहला समय है प्रात:काल, सूर्योदय से थोड़ी देर पहले मंत्र जप शुरू किया जाना चाहिए। जप सूर्योदय के पश्चात तक करना चाहिए।
मंत्र जप के लिए दूसरा समय है दोपहर का। दोपहर में भी इस मंत्र का जप किया जाता है। तीसरा समय है शाम को सूर्यास्त के कुछ देर पहले मंत्र जप शुरू करके सूर्यास्त के कुछ देर बाद तक जप करना चाहिए।
इन तीन समय के अतिरिक्त यदि गायत्री मंत्र का जप करना हो तो मौन रहकर या मानसिक रूप से जप करना चाहिए। मंत्र जप तेज आवाज में नहीं करना चाहिए। गायत्री मंत्र का अगर हम शाब्दिक अर्थ निकालें तो, उसके भाव इस प्रकार निकलते हैं-तत् वह अनंत परमात्मा, सवितु: सबको उत्पन्न् करने वाला, वरेण्यम्: ग्रहण करने योग्य या तृतीय के लायक, भर्गों-सब पापों का नाश करने वाला, देवस्य: प्रकाश और आनंद देने वाले दिव्य रूप ऐसे परमात्मा का, धीमहि:-हम सब ध्यान करते हैं, धिय:-बुद्धियों को, य:-वह परमात्मा, न:-हमारी, प्रचोदयात्:-धर्म, काम, मोक्ष में प्रेरणा करके, संसार से हटकर अपने स्वरूप में लगाए और शुद्ध बुद्धि प्रदान करें।
नकारात्मक शक्तियों का अचूक उपाय…
जानकारों का कहना है कि नकारात्मक शक्तियां हमेशा हमारे इर्द-गिर्द घूमती रहती हैं। ऐसे में जरूरत होती है, एक ऐसी शक्ति की जो इन बुरी शक्तियों से हमारी रक्षा कर सके।
इसके लिए गायत्री मंत्र का जप सबसे बेहतर उपाय है। यह मंत्र भय को दूर करने के साथ ही निरोगी जीवन, यश, प्रसिद्धि, धन व ऐश्वर्य देने वाला होता है। माना जाता है कि गायत्री मंत्र दरिद्रता का नाश भी करता है। जैसे कि किसी व्यक्ति के व्यापार, नौकरी में हानि हो रही है या
कार्य में सफलता नहीं मिलती, आमदनी कम है तथा व्यय अधिक है तो उन्हें गायत्री मंत्र का जप काफी फायदा पहुंचाता है।
शुक्रवार को पीले वस्त्र पहनकर हाथी पर विराजमान गायत्री माता का ध्यान कर गायत्री मंत्र के आगे और पीछे श्रीं सम्पुट लगाकर जप करने से दरिद्रता का नाश होता है। इसके साथ ही रविवार को व्रत किया जाए तो ज्यादा लाभ होता है। ऐसे में उस व्यक्ति का कार्य पूर्ण होने पर नकारात्मक ऊर्जा भी नष्ट हो जाती है।