मप्र के कूनो नेशनल पार्क में देश के महत्वकांक्षी चीता प्रोजेक्ट को विस्तार देते हुए अब चीतों का नया घर तैयार हो गया है…अगर आप वाइल्ड लाइफ लवर हैं और देश के इस चीता प्रोजेक्ट के बारे में हर इंफॉर्मेशन का दिल से स्वागत करते हैं तो यह खबर आपको खुश कर रही होगी… आपको बता दें कि जनवरी 2024 में एक बार फिर नामीबिया से चीतों को लाने की तैयारियां की जा रही हैं। चीतों के आने से पहले नामीबिया से एक्सपर्ट की टीम आ रही है, जो चीतों के लिए तैयार किए गए नए घर का निरीक्षण करेगी…
जल्द आ रही है एक्सपर्ट टीम
चीता प्रोजेक्ट से जुड़ें अधिकारियों के मुताबिक वन्यजीव विशेषज्ञों सहित एक दक्षिण अफ्रीकी प्रतिनिधिमंडल मध्य प्रदेश के गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य की स्थितियों का आंकलन करने के लिए फरवरी में ही दौरा करने आ रहा है। सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही चीते भी यहां दौड़ते नजर आएंगे।
देश में चीता प्रोजेक्ट के दूसरे चरण की शुरुआत होगी। पिछले साल जहां सितंबर 2022 में नामीबिया दक्षिण अफ्रीका से चीते लाकर कूनो नेशनल पार्क में बसाए गए थे। इसके बाद अब फरवरी में एक बार फिर से चीते लाए गए। अब इस साल 2024 में ऐसा तीसरी बार होगा जब दक्षिण अफ्रीका नामीबिया से चीते लाए जाएंगे। इस बार पांच जोड़ी चीता यानी कुल 10 चीतों को भारत लाया जाएगा।
368 वर्ग किमी में फैला है चीतों का दूसरा घर ‘गांधी सागर’
जानकारी के मुताबिक गांधी सागर को चीतों के लिए वन्यजीव अभयारण्य तैयार करने का 90 फीसदी काम पूरा हो चुका है। गांधी सागर कूनो से लगभग छह घंटे की दूरी पर है। यह 368 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और इसके आसपास 2,500 वर्ग किलोमीटर का अतिरिक्त क्षेत्र है। यह मध्य प्रदेश के मंदसौर-नीमच जिले के साथ ही राजस्थान के चित्तौड़ व कोटा जिले में भी फैला हुआ है।
ये चीते भी होंगे गांधी सागर में शिफ्ट
प्रोजेक्ट टाइगर के तहत पहली बार आठ चीते सितंबर 2022 में नामीबिया से भारत लाए गए थे। वहीं 12 चीते फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए थे। पर्यावरण मंत्रालय में अतिरिक्त वन महानिदेशक एसपी यादव से मिली जानकारी के मुताबिक पहले ये तय था कि दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों को गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में लाया जाएगा।
30 करोड़ की लागत से बना चीतों का घर
मंदसौर के इस गांधी सागर अभयारण्य में चीतों के 67 वर्ग किमी में बाड़ा बनाने का काम पूरे जोर-शोर से जारी है। सबकुछ अच्छा रहा तो जल्द ही गांधी सागर अभयारण्य में चीते दौड़ते नजर आएंगे। चंबल नदी के एक छोर पर यह बाड़ा बनाया गया है। यहां 12 हजार 500 गड्ढे खोदकर हर तीन मीटर की दूरी पर लोहे के पाइप लगाए हैं। इन पिलर पर तार फेंसिंग के साथ लोहे से 28 किलोमीटर लंबी और 10 फीट ऊंची दीवार बनाई गई है। इस दीवार पर सोलर तार लगाए जा रहे हैं। ये तार सोलर बिजली से कनेक्ट रहेंगे। ऐसे में यदि कोई भी चीता बाउंड्री वॉल को लांघने की कोशिश करता है तो उसे करंट का झटका लगेगा।
आपको बता दें कि गांधीसागर वन अभयारण्य में 28 किलोमीटर लंबे बाड़े की जाली लगाने में करीब 17 करोड़ 70 लाख रुपए से अधिक की लागत आई है। वन क्षेत्र में कैमरे भी लगाए गए हैं। इस नए घर को बसाने और चीता प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए इस पर 30 करोड़ रुपए का खर्च किया गया हैं।
रखी जा रही पैनी नजर
इस प्रोजेक्ट पर जिम्मेदार पैनी नजर रखे हुए हैं। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की ये टीम यहां चीता पुनर्वास समिति के सदस्यों के साथ बारीकी से निरीक्षण करती है। सितंबर 2022 में चीता प्रोजेक्ट का निरीक्षण करने आई इस टीम में चीता पुनर्वास समिति के अध्यक्ष डॉ. राजेश गोपाल, कमेटी के सदस्य हिम्मत सिंह नेगी, एनटीसीए आईजी इंस्पेक्टर जनरल फॉरेस्ट डॉ. अमित मलिक शामिल थे।
जानें गांधी सागर अभयारण्य क्यों बना एक्सपर्ट की पसंद
दरअसल एक्सपर्ट के मुताबिक चीतों के लिए ऐसी जगह बेहद मुफीद मानी गई हैं, जहां बड़े जंगल हों, आराम करने के लिए घास हो और उनकी पसंद का खाना हो और ये सारी सुविधाएं मंदसौर के गांधी सागर अभयारण्य में उपलब्ध हैं। यही कारण है कि वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट इंडिया ने चीतों के लिए पहले कूनो, फिर गांधी सागर, नौरादेही और राजस्थान के अभयारण्य को चिह्नित किया था। इनमें से एक्सपर्ट ने पहले कूनो फिर गांधी सागर सागर को चीता प्रोजेक्ट के लिए बेस्ट स्थानों में चुना। वहीं नौरादेही और राजस्थान के अभयारण्य की तुलना में गांधी सागर में लागत आधी आ रही थी। यह एल शेप में है और चंबल नदी के किनारे पर बसा है। कुल मिलाकर यह स्थान चीतों के लिए नेचुरली बेहतरीन साबित होगा।
प्रदेश के वनों पर 1390 करोड़ रुपए खर्च करने की कैम्पा योजना को राज्य स्तरीय समिति ने हाल ही में हरी झंडी दी थी। इसमें चीतों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए पहली आधुनिक केयर यूनिट बनाने के प्रस्ताव को भी शामिल किया गया है। इस पर 65 लाख रुपए खर्च करने का लक्ष्य है। यह यूनिट गांधीसागर अभयारण्य में बनाई जाएगी।
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