आपको बता दें कि मध्य प्रदेश शासन की ओर से 24 फरवरी 2016 को इस संबंध में आदेश जारी करते हुए कहा गया था कि नगरीय निकायों की जिन संपत्तियों की लीज 30 साल या उससे ज्यादा हो चुकी है, उन्हें फ्री होल्ड किया जाए। इस आदेश का शासन द्वारा राजपत्र में भी जारी कराया गया था, लेकिन निगम ने इस नियम का पालन नहीं किया। इस नियम में 4 मई 2021 को संशोधन किया गया लेकिन निगम ने लीज संपत्तियों को फ्री होल्ड करने के बजाए लीज नवीनीकरण करना बेहतर समझा।
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इसके बाद 28 मार्च 2023 को इस नियम में एक संशोधन और किया गया। तब कहीं जाकर निगम ने नियम के तहत 30 साल की लीज पूरी कर चुकी संपत्तियों को फ्री होल्ड करने की कवायद शुरू हो सकी है। इसके तहत निगम आयुक्त हरेंद्र नारायन ने 5 जून को एक स्थायी आदेश जारी किया है।
फ्री होल्ड संपत्ति क्या है ?
फ्री होल्ड संपत्ति एक आम व्यावसायिक भूमि के निर्माण और बिक्री तक स्वामित्व के एक प्रकार को संकेत करता है। इसका मतलब है कि व्यक्ति या संगठन जिसके पास ये जमीन है वो उसके मालिक हैं और उसे विपणन और विनियमित कर सकते हैं, जैसे वो चाहें। इस तरह की संपत्ति पर निर्मित इमारतों के मालिकाना अधिकार होते हैं। फ्री होल्ड जमीन के मालिक को जमीन बेचने, संवितरित करने, दान करने या वस्त्राधिकारी किसी अन्य को जमीन पर निर्माण करने की अनुमति होती है। इसले उलट लीज होल्ड जमीन एक तरह की भूमि होती है जिसे किसी अन्य व्यक्ति या संगठन को निर्माण या इस्तेमाल करने अनुमति नहीं रहती, उसके इस्तेमाल का मालिकाना हक नहीं होता। ऐसी संपत्ति पर एक निर्धारित समयावधि के बाद मालिकाना हक वापस ले लिया जाता है। यह भी पढ़ें- Bhojshala ASI Survey : उत्तरी हिस्से की खुदाई में निकलीं 3 बड़ी आकृतियां, सर्वे टीम ने बनाया गर्भगृह का ड्राइंग फ्री होल्ड प्रोपर्टी को ऐसे समझें
-फ्री होल्ड प्रोपर्टी वो भूमि होती है, जिसका पूरा स्वामित्व और नियंत्रण उसके मालिक के पास होता है।
-इसमें किराया देने की कोई अवधि नहीं होती और मालिक इसे खुद इस्तेमाल कर सकता है या इसे बेच भी सकता है। -फ्री होल्ड प्रोपर्टी के मालिक के पास भूमि के स्वामित्व, निर्माण, विपणन और इस्तेमाल का पूरा कंट्रोल होता है।