रहली/भोपाल। इस समय देश और प्रदेश राममय है। हर जगह राम से जुड़े और अन्य धार्मिक कार्यक्रम हो रहे हैं पर सबसे ज्यादा चर्चा है प्रदेश के सबसे वरिष्ठ विधायक गोपाल भार्गव के भजन और प्रवचनों की। रहली के गढ़ाकोटा में पटेरियाधाम पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा में विधायक गोपाल भार्गव लगातार दो दिन भगवा वेष धारण कर पहुंचे। अयोध्या में रामलला के मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की बधाइयां दीं।
पहले दिन भार्गव ने कहा कि बाल्यावस्था में एक गीत गाता था, 50 साल बाद फिर दोहरा रहा हूं। भजन के बोल कुछ ऐसे थे… बनवारी रे.. जीने का सहारा तेरा नाम रे, मुझे दुनिया वालों से क्या काम रे। झूठे बंधन, झूठी है ये काया, यहां झूठ का आना-जाना, झूठी है ये माया..। दूसरे दिन इसी कार्यक्रम में मंगलवार को मंच से हनुमानजी की स्तुति की।
कर्मकांडी पंडित भी हैं गोपाल
राजनीति में आने के पहले भार्गव कर्मकांडी पंडित थे। वे कथा और पूजा-पाठ भी करते थे। पर अब इतने वर्षों बाद 72 साल के भार्गव के भगवा वेष में भजन और प्रवचन के राजनीतिक गलियारों में कई मायने निकाले जा रहे हैं।
खुलकर कर चुके सीएम की दावेदारी
विधानसभा चुनाव के समय सीएम पद के लिए दावेदारी खुलकर की थी। बाद में सरकार बनी तो वे मंत्रिमंडल में भी जगह नहीं पा सके। भार्गव 2018 में भाजपा के हारने के बाद नेताप्रतिपक्ष भी बने। सत्ता परिवर्तन हुआ तो शुरुआत में मंत्री नहीं बन सके, विस्तार में मंत्री बने। 2023 में मोहन सरकार में मंत्री नहीं बन पाए।
संस्कृत स्कूल भी चलाते हैं भार्गव
गोपाल भार्गव के पिता आसपास के गांवों में कुलगुरु रहे हैं। गोपाल भार्गव समय-समय पर पूजापाठ के लिए यजमानों के घर मंत्री रहते भी जाते रहे हैं। अपने व्यस्त कार्यक्रम के दौरान भी धर्म-कर्म में आगे रहते हैं। उनके धार्मिक प्रेम का ही कारण है कि भार्गव अपने गृह नगर गढ़ाकोटा में श्रीगणेश संस्कृत विद्यालय भी संचालित करते हैं और हर साल एक आयोजन करते हैं।