अब कांग्रेस भोपाल की लोकसभा सीट पर भी कब्जा करना चहती है। इसके चलते एक ओर जहां कांग्रेस के कुछ नेता करीना कपूर को लड़ाने की मांग कर रहा हैं, वहीं दूसरी ओर प्रियंका गांधी को।
वहीं इसी बीच अब यह सूचना आ रही है कि पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भोपाल के सबसे पुराने नेताओं में शुमार पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता बाबूलाल गौर को कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया है।
इसी के साथ विधानसभा चुनाव में भाजपा का टिकट नहीं मिलने से असंतुष्ट पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने बुधवार को कहा कि उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भोपाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस से चुनाव लडऩे का ऑफर दिया है। गौर का कहना है कि जवाब अभी नहीं दिया है। इस पर विचार कर रहा हूं।
दरअसल, 18 जनवरी को दिग्विजय खुद गौर के निवास पर पहुंचे थे। तब वे चुप रहे, लेकिन अब उनका दावा है कि कांग्रेस उन्हें प्रत्याशी बनाने को तैयार है। गौर के अनुसार, तब इस ऑफर पर सीधा जवाब नहीं दिया और कहा था कि सोचने के लिए वक्त चाहिए।
नाराज हैं गौर…
गौर अपनी पार्टी के चुनिंदा नेताओं से नाराज हैं। शिवराज सरकार के समय उन्हें 70 से ज्यादा उम्र होने का हवाला देकर मंत्रिमंडल से बाहर किया गया था। बाद में उनका टिकट भी उम्र के हवाले से काटा गया। बाद में जब गौर के दबाव पर उनकी पुत्रवधू कृष्णा गौर को टिकट दिया गया था।
बाबूलाल गौर ने लोकसभा चुनाव को लेकर क्या बयान दिया है, यह मेरे संज्ञान में नहीं है। स्पष्ट कर देता हूं कि भाजपा के जो भी पदाधिकारी-कार्यकर्ता अनुशासनहीनता करते हैं, उन पर कार्रवाई की जाती है।
– राकेश सिंह, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष
इधर, जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी फिर कांग्रेस को…
वहीं दूसरी ओर उज्जैन में भाजपा के वोट में सेंधमारी करते हुए कांग्रेस ने उज्जैन जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा बरकरार रखा है।
कांग्रेस के करण कुमारिया ने 10 वोट लेकर भाजपा के डॉ. मदनलाल चौहान (9 वोट) को एक वोट से हरा दिया। अध्यक्ष पद का चुनाव हारने के बाद चौहान ने उपाध्यक्ष का चुनाव लड़ा और 10 वोट पाकर जीत हासिल की।
पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष महेश परमार के कांग्रेस विधायक बनने और उपाध्यक्ष भरत पोरवाल को पद से हटाने पर दोनों सीट खाली हो गई थीं। जिला पंचायत के 19 सदस्यों में 10 वोट के साथ बहुमत भाजपा का था, लेकिन भाजपा के एक सदस्य ने अपना वोट कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में डाल दिया, इससे कांग्रेस को जीत मिली।