भोपाल। एक ओर जहां कर्ज की बेबसी और खेती में पूरी लागत तक नहीं निकलने के चलते एमपी में किसानों की खुदकुशी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। वहीं सूत्र कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि सभी किसानों को परेशानी है, प्रदेश में ऐसे भी कई किसान हैं जिनके लिए खेती फायदे का धंधा है।
कहने को तो ये लोग केवल किसान ही नहीं बल्कि जनप्रतिनिधि भी हैं, लेकिन इनकी खेती में इतना दम है कि इन्होंने खेती को ही फायदे का सौदा बना कर उसी से जन सेवा तक शुरू कर दी। हम आपको ऐसे ही कुछ ऐसे किसानों से मिला रहे हैं, जिनके लिए खेती फायदा का सौदा साबित हो रही है। कहा जाता है कि ये लोग सरकारी योजनाओं का पूरा उपभोग करने के बाद ही करोड़पति किसान बन सके हैं, ये और कोई नहीं बल्कि मध्य प्रदेश सरकार के कई माननीय मंत्री हैं।
पिछले दिनों भले ही किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए प्रदेश सरकार ने पूरा जोर लगा दिया। लेकिन आंदोलन खत्म होने के बाद से जो आत्महत्याओं का सिलसिला सा शुरु हुआ वह अब तक रोका नहीं जा सका है।
एक ओर जहां किसान गरीबी या अन्य इसी से जुडे कारणों के चलते प्रदेश में आत्महत्या कर रहा है वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश के कई मंत्री खेती में सफलता की नयी मिसाल कायम कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार राज्य के करीब 18 मंत्रियों की आजीविका में खेती शामिल हैं और उन्हें इससे लाखों की कमाई हो रही है।
दरअसल वर्ष 2013 में दाखिल किए गए हलफनामों के मुताबिक प्रदेश के कई कद्दावर मंत्रियों का गुज़र बसर का जरिया खेती है। ये वीवीआईपी किसान न तो सरकार से परेशान हैं और न ही इन्हें किसी योजना से किसी भी प्रकार की शिकायत है। वहीं दूसरी ओर आम किसान सरकारी व्यवस्थाओं से परेशान हो चुका है, वह शिकायत भी करता है लेकिन इन वीवीआईपी किसानों को कभी किसी अड़चन का सामना नहीं करना पड़ता।
वहीं जब इस संबंध में जब सरकार के मंत्रियों के बारे में पता किया गया तो पता चला कि वे खेती-किसानी का पूरा मजा ले रहे हैं। वहीं राज्य के कई मंत्री अपनी खेती के कालखंड को स्वर्णिम समय मानते हैं।
वहीं मंत्रियों के लिए खेती लाभ का धंधा बनने पर कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी कहते हैं कि उन्हें खेती में 7 लाख तो क्या 7 हज़ार का फायदा नहीं हो पा रहा। उन्होंने कहा कि मप्र कैबिनेट के मंत्रियों को शिक्षक बनकर किसानों को खेती को कैसे फायदेमंद बनाएं इसके बारे में बताना चाहिए।
एक ओर जहां प्रदेश सरकार के मंत्रियों के लिए खेती फायदे का सौदा बनी हुई है, वहीं किसान आंदोलन खत्म होने के 19 दिनों में 40 से ज्यादा किसान अपने नुकसान व लागत के बराबर तक पूंजी नहीं मिल पाने के चलते खुदकुशी कर चुके है।
Hindi News / Bhopal / MP में खेती: कर्ज के बोझ तले किसान कर रहे खुदकुशी और मंत्री…