मध्यक्षेत्र विद्युत कंपनी के ही 15 सर्किल में प्रतिमाह 45 करोड़ रुपए का घाटा हो रहा है। कई क्षेत्रों में अक्टूबर से ही संबल के बिल मिलना शुरू हो गए हैं। योजना के तहत कंपनियों के घाटे की भरपाई शासन करेगा। ऐसे में कंपनियों की ओर से शासन से इस योजना पर फिर से विचार करने की बात कहने की कवायद है।
ऊर्जा सचिव आइसीपी केसरी के अनुसार नई सरकार को प्रजेंटेशन दिया जाएगा। उसके बाद ही अगला कदम उठाया जाएगा। मप्र विद्युत नियामक आयोग को दी एन्युअल रेवेन्यू रिपोर्ट के अनुसार तीनों बिजली कंपनियां 1306 करोड़ रुपए के घाटे में है। मध्यक्षेत्र का ही घाटा 357 करोड़ रुपए है।
बीते आठ साल के दौरान बिजली सुधार की दो बड़ी योजनाओं में तमाम उपभोक्ताओं के परिसरों में मीटर की स्थापना करा दी है। आएपीडीआरपी और आइपीडीएस के तहत बिजली सुधार के काम हुए और इसमें लाइन लॉस 15 फीसदी तक लाने की कवायद की गई। लॉस रोकने तमाम कनेक्शन मीटरीकृत करने थे। इसमें काफी सफलता पाई है।
असंगठित श्रेणी के श्रमिकों का पंजीयन कर उन्हें बिजली कंपनी की और से 200 रुपए फिक्स बिल योजना संबल का लाभ में शामिल किया गया। इस योजना में शामिल हितग्राही यदि बिजली उपकरणों से 1000 रुपए की बिजली भी खर्च करता है तो भी उसे महज 200 रुपए ही बिजली बिल जमा करना पड़ रहा है, बाकी 800 रुपए शासन वहन करेगा।
तमाम उपभोक्ताओं के यहां मीटर लगाने के बाद बिजली का खर्च मीटर की बढ़ती रीडिंग के आधारित हो गया था। उपभोक्ता बिजली खर्च बड़ी सोच-समझ करने लगे थे।