पचमढ़ी सतपुड़ा टाइगर रिजर्व का ही हिस्सा है। यहां पर्यटकों को आसानी से बाघ दिखाई देगा। क्योंकि एक ओर सतपुड़ा का हिस्सा है और दूसरी तरफ रातापानी अभ्यारण्य है। जहां 60 से अधिक बाघों की उपस्थिति रिकार्ड की गई है। इसके अलावा राजधानी भोपाल से ज्यादा दूर भी नहीं है। इसको देखते हुए पचमढ़ी में टाइगर सफारी बनाने का निर्णय लिया गया है। केंद्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकरण को इस संबंध में करीब सात महीने पहले प्रस्ताव भेजा गया था, जिस पर सैद्धांतिक सहमति बन गई है। इसी महीने मंजूरी भी आ जाएगी।
एक साल में सफारी शुरू करने का लक्ष्य
वन्यप्राणी मुख्यालय ने एक साल में सफारी शुरू करने का लक्ष्य रखा है। इसमें तीन ऐसे बाघ-बाघिन छोड़े जाएंगे, जो मनुष्यों पर हमले करने वाले बाघों अथवा आपसी झगड़े में जख्मी हाने के कारण जंगल से लाए गए है और जिन्हें वापस जंगल में नहीं छोड़ा जा सकता है। सफारी के लिए वन विहार या बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से बाघ भेजे जाएंगे। इनमें से एक सुंदरी भी शामिल है। कार्ययोजना तैयार होते ही सफारी के निर्माण (तार फेंसिंग, पर्यटकों के बैठने का स्थान) किया जाएगा।
बाघ पुर्नस्थापना में बाधवगढ़ से सतकोशिया गई थी सुंदरी
बाघ पुर्नस्थापना कार्यक्रम के तहत सुंदरी को दो साल की उम्र में 29 जून 2018 को बांधवगढ़ के खुले जंगल से पकड़कर सतकोशिया भेज दिया गया था।तब वह ठीक से शिकार भी नहीं कर पाती थी। वहीं बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में उसे क्वारंटाइन बाड़े में रखकर पाला गया था। इसलिए मनुष्य की नजदीकी की आदी थी। सतकोशिया में वह मानव बस्ती के नजदीक घूमने लगी थी। स्थानीय लोगों का कहना था कि उसने तीन लोगों को मार दिया है। सिर्फ छह माह में ही उसे भुवनेश्वर के नंदनकानन चिडिय़ाघर में कैद कर दिया गया। नवंबर 2018 से कैद बाघिन को हाईकोर्ट के निर्देश पर मार्च 2021 में कान्हा वापस लाया गया था। इसके बाद जनू 2022 में उसे वन विहार लाया गया।