राजधानी में लाटसाहब आम भी आ गया है जिसे चूस कर खाने का मजा ही अलग है। मियाजॉकी और नूरजहां की कीमत ज्यादा है, इसलिए इसे देखकर ही संतोष करना पड़ता है। हालांकि राजधानी की बाजारों में मल्लिका, आम्रपाली और सफेदा भी खूब बिकते हैं लेकिन, पेड़ में पकने वाले आम नहीं आ रहे हैं। इनके तैयार होने में डेढ़ से दो महीने का समय लगेगा।
भोपाल में दशहरी, लंगड़ा, बांबे ग्रीन और दहिया
राजधानी में अभी साउथ से आम आ रहा है। यूपी, महाराष्ट्र का आम अगले सप्ताह तक आएगा। विजयवाड़ा से आम की थोक और बाजार रेट में 30 से 40 रुपए किलो का अंतर है। केसर, बादाम, तोतापरी की डिमांड ज्यादा है। गाड़ी उतरने के एक घंटे के ये बिक जा रहे हैं। वहीं तापमान बढऩे से आम की खपत और बढ़ी है।
भोपाल में करीब 400 हैक्टेयर का आम का रकबा है। आम्रपाली, मल्लिका, दशहरी, लंगड़ा, बांबे ग्रीन बैरायटी आम यहां होते हैं। उद्यानिकी विभाग के उप संचालक बीएस कुशवाहा बताते हैं कि भोपाल में दशहरी, लंगड़ा, बांबे ग्रीन, दहिया वैरायटी का आम अधिक होता है। इसको लेकर समय-समय पर किसानों को एडवाइजरी जारी की जाती है, ताकि अच्छी फसल हो सके।
इधर करोद मंडी में आम के थोक कारोबारी संतोष गुप्ता बताते हैं कि भोपाल में इस समय साउथ से करीब 25 गाडिय़ां रोज आ रही है। एक गाड़ी में दस टन आम होता है। भोपाल में अभी रोजाना ढाई सौ टन की खपत है। यूपी और अन्य राज्यों का आम आने के बाद रेट में भी अंतर आएगा।