बता दें कि दिग्विजय सिंह द्वारा पीएम मोदी को लिखे पत्र के जरिए कहा है कि आप इस बात से भलीभांति अवगत हैं कि, भारत दुनिया में जैविक कपास का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है। सरकारी आंकड़ों के तहत दुनियाभर के जैविक कपास के उत्पादन में भारत की भागीदारी 66 फीसदी है। उसमें मध्य प्रदेश का स्थान प्रथम है। देश में सबसे ज्यादा जैविक भूमि का प्रमाणीकरण भी मध्य प्रदेश में ही किया गया है।
यह भी पढ़ें- एयरपोर्ट पर डॉक्युमेंट्स वैरिफिकेशन की प्रॉसेस में लंबा टाइम गवाने का झंझट खत्म, चेहरा दिखाते ही मिलेगी एंट्री ‘देश में कई बॉडीज ऑर्गेनिक उत्पादों को प्रमाणित कर रहीं’
जैविक उत्पादन के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत जैविक उत्पादन, प्रणालियों, मानकों और प्रमाणन निकायों के लिए प्रक्रिया तय है, जिसे अन्य अंतर्राष्ट्रीय मानकों के साथ सामंजस्य में तैयार गया है। जैविक उत्पादों के आयात और निर्यात को इन्हीं मानकों के तहत विनियमित किया जाता है। इसके लिये NPOP गाइडलाइन निर्धारित है। किसानों ने उत्पादित आर्गेनिक कॉटन का प्रमाणीकरण सरकारी एजेंसी एपीईडीए ने अधिकृत सर्टिफिकेशन बॉडी (CB) से किया जाता है। देश में ऐसी कई सर्टिफिकेशन बॉडीज हैं, जो ऑर्गेनिक उत्पादों को प्रमाणित करती है।
MP समेत देश में कितनी सर्टिफिकेशन बॉडीज हैं?
मध्य प्रदेश में कंट्रोल यूनियन नाम की एक सर्टिफिकेशन बॉडी को APEDA ने अधिकृत किया है। मेरी जानकारी में ये नहीं है कि, इसके अलावा और कितनी सर्टिफिकेशन बॉडीज मध्य प्रदेश और देश में काम कर रही हैं। ऑर्गेनिक उत्पाद के उत्पादकों के लिए गाइडलाइन के अध्याय 5 के पैरा (5.1), (5.2) एवं (5.3) में आई.सी.एस. बनाने का प्रावधान है। इसी के तहत ऑर्गेनिक कॉटन उत्पादकों के समूह का गठन होता है। इन समूहों में न्यूनतम 25 और अधिकतम 500 किसान हो सकते हैं। यह भी पढ़ें- उफनती नदी में 50 से ज्यादा गायों को फेंका, 20 की मौत, Video वायरल होने के बाद हुई आरोपियों की पहचान ‘साल 2022-23 तक योजना के तहत 1854.01 करोड़ रूपए राशि जारी हुई’
सरकारी वेबसाइट investindia.gov.in से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री कृषि विकास योजना (PKVY) के तहत सरकार ने ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसान को प्रति हेक्टेयर 3 साल के लिए 50 हजार रुपए वित्तीय सहायता दी जाती है। 16 नवंबर 2022 को PKVY के तहत, 32, 384 क्लस्टर्स, कुल 6.4 लाख हेक्टेयर इलाके और 16.1 लाख किसानों को शामिल किया गया है। साल 2022-23 तक योजना के तहत 1854.01 करोड़ रूपए की राशि जारी की गई है।
करोड़ों की GST चोरी
दिग्विजय ने पत्र में लिखा कि ‘मुझे ये लिखते हुए खेद है कि मध्य प्रदेश के निमाड़ अंचल में ऑर्गेनिक कॉटन उत्पादकों के फर्जी समूह बनाए गए हैं। इन समूहों में ऐसे गॉवों के किसानों के नाम शामिल हैं जो न तो ऑर्गेनिक कॉटन का और न ही या साधारण बी.टी. कॉटन का उत्पादन करते हैं और न पहले कभी उन्होंने किया है। धार जिले के भीलकुंडा और उसके आसपास के गांवों के किसान इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। ऑर्गेनिक कॉटन उत्पादकों के समूह में इस गांव और इसके आसपास के अनेक किसानों के नाम फर्जी तरीके से शामिल किए गए हैं और उन्हें ऑर्गेनिक कॉटन उत्पादक बताकर उनसे कॉटन क्रय करना, दर्शाया गया है। कंट्रोल यूनियन नाम की सर्टिफिकेशन बॉडी के बगैर भौतिक सत्यापन के एपिडा और व्यापारियों की मिलीभगत से ऑर्गेनिक उत्पादन के सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं, जिसका खुलासा एक व्हिसल ब्लोअर द्वारा आयुक्त, वाणिज्यिक कर इंदौर को की गई शिकायत से होता है। इस शिकायत में करोड़ों रूपए की जी.एस.टी. चोरी भी सामने आई है। यह भी पढ़ें- MP News : जान पर खेलकर शिक्षा ले रहे नौनिहाल, इंदिरा सागर का बैक वॉटर बढ़ा, बिगड़े हालात, Video कौन ले रहा है जैविक उत्पादन पर मिलने वाली सहायता का लाभ
व्यापारियों द्वारा साधारण बीटी कॉटन को बाहर से खरीदकर फर्जी तरीके से किसानों की उत्पादित ऑर्गेनिक कॉटन बताकर कंट्रोल यूनियन नामक सर्टिफिकेशन बॉडी से सर्टिफिकेट लिया है। उस कॉटन का विदेशों में निर्यात हो रहा है। ऐसी स्थिति में सवाल ये उठता है कि जिन किसानों ने जैविक कपास का उत्पादन ही नहीं किया, उन्हें सरकारी योजना PKVY के तहत जैविक उत्पादन पर मिलने वाली सहायता का लाभ कौन ले रहा है और ये भ्रष्टाचार कितना बड़ा है ?
ये सिर्फ किसानों के साथ धोखा नहीं, भारत की साख का भी सवाल
साधारण कॉटन को ऑर्गेनिक बताकर उसे ऑर्गेनिक सर्टिफिकेट देने के कारण एपीडा द्वारा अधिकृत ‘कंट्रोल यूनियन’ नामक सर्टिफिकेशन बॉडी को यूरोपियन यूनियन ने प्रतिबंधित किया है। ये सिर्फ किसानों के साथ धोखा नहीं, बल्कि भारत की अंतर्राष्ट्रीय साख का भी सवाल है। अमेरिका के न्यूयॉर्क से प्रकाशित एक अंतर्राष्ट्रीय समाचार पत्र का हवाला देते हुए दिग्विजय ने कहा- ’12 अप्रैल 2022 को उसमें प्रकाशित खबर में भारत से निर्यात होने वाले पूरे ऑर्गेनिक कॉटन की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे और इससे भारत की साख को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खराब हुई है। यूरोपियन यूनियन ने एपीडा की अधिकृत कंट्रोल यूनियन नामक सर्टिफिकेशन बॉडी को प्रतिबंधित करने की खबर भारत की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाती है।’
इसलिए बढ़ जाता है जांच कराने का दायित्व
दिग्विजय ने आगे लिखा कि ‘भले ही ये घोटाला मध्य प्रदेश से उजागर हुआ है, लेकिन ऐसा लगता है कि इसकी जड़ें पूरे देश में फैली हुई है। हो सकता है कि सिर्फ कंट्रोल यूनियन जैसी सर्टिफाइंग बॉडी ही नही बल्कि अन्य सर्टिफाइंग बॉडीज भी ऐसा ही कर रही हों। इस घोटाले में हजारों करोड़ रूपए के फर्जी ऑर्गेनिक कॉटन निर्यात और हजारों करोड़ रूपए की फर्जी वित्तीय सहायता प्राप्त करने की आशंकाएं भी प्रबल है। क्योंकि मौजूदा समय में देश के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं जो मध्य प्रदेश के लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे और ये मामला मध्य प्रदेश से ही उजागर हुआ है, इसलिए कृषि मंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते इस मामले की जांच कराने का सरकार का दायित्व और भी बढ़ जाता है।