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पहले सरकार ने दिया था मांगें मानने का आश्वासन
वहीं, दूसरी तरफ जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि, उन्होंने 25 दिन पहले 1 दिन की हड़ताल की थी, जिस दौरान चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के साथ साथ स्वास्थ विभाग के अधिकारियों ने उनसे मुलाकात की थी। मुलाकात के दौरान सरकार की ओर से उन्हें आश्वासन दिया गया था कि, अगर वो हड़ताल समाप्त कर देते हैं, तो जल्द ही सरकार उनकी मांगों को मान लेगी। हालांकि, हड़ताल समाप्त होने के इतना समय बीतने के बाद भी अब तक सरकार की ओर से किसी तरह का लिखित आदेश जारी नहीं हुआ है। इसके बाद भी जूडा ने सरकार से 31 मई तक उनकी मांगों पर निर्णय लेने का अल्टीमेटम दिया था। इसके बाद से ही जूडा पिछले तीन दिनों से हड़ताल पर हैं।
अब सरकार बता रही हठधर्मिता
एक तरफ तो जूनियर डॉक्टरों की मांग है कि, सरकार उन्हें लिखित में मांगों से संबंधित आदेश जारी करे, तो वहीं दूसरी तरफ चिकित्सा शिक्षा मंत्री अब पिछले तीन दिनों से जूडा की हड़ताल को गलत और हठधर्मिता करार दे रहे हैं। हालांकि, इस संबंध में अब तक स्वास्थ्य विभाग की ओर कोई लिखित आदेश जारी नहीं हुआ है। सिर्फ डॉक्टरों को आश्वासन दिया गया।
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टीचर्स का मिला समर्थन, GMC का एक्शन
इधर, जूनियर डॉक्टरों ने अब संकट की इस घड़ी में कोरोना के साथ ब्लैक फंगस का इलाज भी बंद कर दिया है। इससे आम मरीजों के साथ साथ कोरोना और ब्लैक फंगस के मरीजों को भी खासा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इधर, गांधी मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से भी सख्ती शुरू कर दी गई है। जीएमसी प्रबंधन ने हड़ताल पर गए डॉक्टरों की सूची मैन गेट पर चस्पा कर दी है। इसके साथ ही उन्हें चेतावनी भी दी है कि, काम पर न लौटने पर संबंधित डॉक्टर्स के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनका रजिस्ट्रेशन निरस्त कर दिया जाएगा।
लगातार बढ़ रहा हड़ताल का समर्थन
बता दें कि, कोरोना और ब्लैक फंगस के संकट के बीच प्रदेशभर के मेडिकल कॉलेजों के करीब 2500 जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं। अब उनकी मांगों को लेकर और हड़ताल का मेडिकल के टीचर्स ने भी समर्थन कर दिया है। यही नहीं जूडा की इस हड़ताल को लगातार मेडिकल फील्ड से जुड़े अलग अलग संगठनों का समर्थन मिल रहा है।
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हठधर्मिता पर उतरे JUDA- चिकित्सा शिक्षा मंत्री
मामले को लेकर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग का कहना है कि, ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि, जिस समय समाज को डॉक्टरों की सबसे ज्यादा जरूरत है, उस समय ये हड़ताल पर जा रहे हैं। सरकार ने उनकी मांगें मानी है और उन्हें प्रतिमाह 60 हजार रुपये से लेकर 70 हजार तक का स्टाइपेंड दिया जाने लगा है। मंत्री सारंग ने कहा कि, उनकी 6 में से 4 मांगों को मान लिया गया है, बावजूद इसके वो हठधर्मिता पर उतारू हैं। मंत्री सारंग के मुताबिक, उन्होंने जूडा से जल्द से जल्द काम पर वापस लौटने का निवेदन किया है। अगर वो वो वापस नहीं लौटते, तो मजबूरन उनके खिलाफ कारर्वाई करनी पड़ेगी। मंत्री सारंग के मुताबिक, मरीजों के साथ किसी भी तरह की नाइंसाफी सहन नहीं की जा सकेगी।
इन मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं जूडा
-मानदेय में बढ़ोतरी कर इसे 55 हजार, 57 हजार, 59 हजार से बढ़ाकर क्रमश: 68200, 70680, और 73160 किया जाए।
-मानदेय में हर साल छह फीसदी की बढ़ोतरी की जाए।
-कोविड ड्यूटी को एक साल की अनिवार्य ग्रामीण सेवा मानकर बॉन्ड से मुक्त किया जाए।
-कोविड में काम करने वाले डॉक्टरों व उनके स्वजन के लिए अस्पताल में इलाज की अलग व्यवस्था हो।
-कोविड ड्यूटी में काम करने वाले डॉक्टरों को सरकारी नियुक्ति में 10 फीसदी अतिरिक्त अंक दिए जाएं।
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