पिछले डेढ़ साल से चल रही थी बातचीत
कांग्रेस 22 विधायकों के बागी होने के बाद कमलनाथ सरकार सत्ता से बाहर हो गई थी। इसके बाद से ही कई कांग्रेस विधायक लगातार पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। निमाड़ से मांधाता विधायक के शामिल होने के बाद दूसरा नाम सचिन बिरला का भी बताया जा रहा था। लेकिन कहीं कारणों से भाजपा संगठन के साथ बिरला की पटरी नहीं बैठ पाई। लेकिन वह लगातार इंदौर और भोपाल के भाजपा नेताओं के संपर्क में थे।
पढ़ें ये खास खबर- 77 लाख किसानों के खातों में डाले 1540 करोड़, खेतों में सोलर प्लांट लगवाकर किसानों से बिजली खरीदेगी सरकार
गुर्जर वोटरों को साधने की कोशिश, कांग्रेस की बढ़ेगी मुश्किल
भाजपा ने गुर्जर वोटरों को साधने केे लिए बड़ी चाल चली है। सचिन बिरला भी गुर्जर समाज से आते हैं। बड़वाह विधानसभा में बड़ी संख्या में गुर्जर वोटर है। ऐसे में उनके कांग्रेस छोडऩे से पार्टी की मुश्किले बढ़ेगी। उल्लेखनीय है कि सचिन बिरला 30,500 हजार वोटरों से चुनाव जीतकर विधायक चुने गए थे। उन्होंने भाजपा के तीन बार के विधायक हितेंद्रसिंह सोलंकी को हराया था। 2015 में कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने से सचिन बिरला ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और उसके बाद से ही वह सुर्खियों में आए थे।