भोपाल। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का मध्यप्रदेश से कुछ खास नाता है। पं. नेहरू के कारण ही इस प्रदेश को मध्यप्रदेश कहा जाता है। क्यंकि इसका नामकरण उन्हीं ने किया था। उस दौर के नेता पूर्व राष्ट्रपति स्व. शंकरदयाल शर्मा से भी उनकी गहरी नजदीकियां रही हैं। इस कारण नेहरू का अक्सर भोपाल आना-जाना लगा रहता था। वे जब तक प्रधानमंत्री रहें लगभग 15 से अधिक बार भोपाल आ चुके हैं। हरी-भऱी वादियों में घिरे भोपाल की आबोहवा बेहद रास आती थी। उन्हें प्राकृतिक रंग और यहां की आबोहवा इतनी पसंद थी कि वे प्रधानमंत्री रहते हुए राजभवन में नहीं रुकते थे, वे रायसेन जिले में स्थित नवाबों की चिकलोद कोठी में रुकना पसंद करते थे। आज उनके नाम पर भोपाल में कई संस्थाएं हैं, अस्पताल हैं, स्कूल हैं।
विशेष विमान से मंगवाया था सिगरेट का पैकेट
एक बार नेहरू भोपाल दौरे पर थे, तब वे राजभवन आए हुए थे। उनकी सिगरेट खत्म हो गई थी। इसी दौरान नेहरू का 555 ब्रांड सिगरेट का पैकेट भोपाल में नहीं मिला। नेहरू को खाना खाने के बाद सिगरेट पीने की आदत थी। जब यहां स्टाफ को पता चला तो उन्होंने भोपाल से इंदौर के लिए एक विशेष विमान पहुंचाया। वहां एक व्यक्ति इंदौर एयरपोर्ट पर सिगरेट के कुछ पैकेट लेकर पहुंचा और वह पैकेट लेकर विमान भोपाल आया। राजभवन की वेबसाइट में इस रोचक प्रसंग का उल्लेख है।
नवाबों की कोठी के थे दीवाने
भोपाल के करीब चिकलोद कोठी नवाबी दौर की शान मानी जाती थी। यह कोठी तीन तरफ से पहाड़ों से घिरी होने और तालाब के किनारे होने के कारण खासी आकर्षण का केंद्र थीं। भोपाल से करीब 40 किलोमीटर दूर स्थित चिकलोद कोठी देश के प्रधानमंत्री को भी पसंद थी। वे यहीं रुकना पसंद करते थे। यहां चारों तरफ हरियाली और पहाड़ थे। खूबसूरती के साथ ही यह जगर सर्वसुविधायुक्त थी।
जब गुस्सा हुए राज्यपाल
हालांकि आधिकारिक यात्रा पर आने के दौरान पं. नेहरू राजभवन में नहीं रुकते थे, इसलिए उनका कुछ विरोध भी होता था। यह विरोध MP के राज्यपाल हरि विनायक पाटस्कर ने किया था।
नेहरू ने ही दी भोपाल को बीएचईएल की सौगात
भोपाल में बने बीएचईएल (भेल) की जमीन आवंटन से लेकर नींव रखने और देश को समर्पित करने में पंडित जवाहरलाल नेहरू का बड़ा योगदान है। वे BHELभोपाल का लोकार्पण करने भी आए थे। उन्होंने भेल के सभी ब्लाकों का दौरा कर और बारिकी से उत्पादन करने वाले कर्मचारियों से मुलाकात की थी।
कारों के थे शौकीन
नेहरू खुद के रहन-सहन पर काफी ध्यान देते थे। उनकी लाइफ स्टाइल सबसे अलग थी। वे इसी कारण से भी चर्चाओं में बने रहते थे। पंडित नेहरू का बचपन इलाहाबाद में गुजरा और पिता मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद के प्रतिष्ठित परिवार के थे। वे काफी लाड़-प्यार से पले थे। एक बार नेहरूजी के लिए उनके पिता ने विदेश से साइकिल मंगवाई थी। इसके अलावा 1904 में विदेशी कार मंगवाई। खास बात यह थी कि इलाहाबाद की सड़कों पर आने वाली यह पहली विदेशी और सबसे लंबी कार थी। इसकी चर्चा पूरे देश में होती थी। बताया जाता है कि नेहरू परिवार का इलाहाबाद स्थित घर आधुनिक सुविधाओं के कारण भी प्रसिद्ध था। उस जमाने में उस बंगले में स्वीमिंग पूल, टेनिस कोर्ट जैसी सुविधाएं थीं। इस घर में कई चीजें अब संग्रह करके रखी गई है।
लंदन से धुलकर आते थे नेहरू के कपड़े
नेहरू से जुड़ी यह बात भी काफी चर्चित रही है कि उनके कपड़े लंदन से धुलकर आते थे। नेहरू खानदान की जन्मभूमि कश्मीर थी और नेहरू के दादा पंडित गंगाधर नेहरू दिल्ली में कोतवाल थे। इसलिए उनका रौब भी उनकी जिंदगी पर पड़ा। पिता पंडित मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सबसे प्रसिद्ध और सबसे रईस वकील थे। वे भी अनुशासन पसंद, शानो-शौकत और पहनावे के लिए पहचाने जाते थे।
विदेशी शिक्षक ट्यूशन पढ़ाते थे
इकलौते पुत्र होने के कारण जवाहर का बचपन विलासितापूर्ण तरीके से बीता। जिस बच्चे को अंग्रेज शिक्षक घर पर पढ़ाने आते रहे हों, 15 वर्ष की आयु में स्कूली शिक्षा भी लंदन के हैरो स्कूल में हुई और विश्वविद्यालयीन शिक्षा भी कैम्ब्रिज में हुई, उस बच्चे की शिक्षा का स्तर भी उच्च ही रहा।