मेघा भट्ट चंद्रयान-2 के द्वारा भेजे गए डेटा का एनालिसिस करेंगी। इसके जरिए मेघा जानने की कोशिश करेगी कि वहां मैग्नेट, मैग्नीशियम आदि तत्वों की मौजूदगी क्या है। इन तत्वों ने वहां किस तरह से आकार ले रखा है। मेघा विशेषज्ञ वैज्ञानिकों की टीम के हिस्सा हैं। मेघा उपेंद्र भट्ट ने बताया कि वहां मौजूद चीजें शुरुआत में लावा रहा होगा तो वह क्रिस्टलाइज हुआ। ऐसे ही कुछ वैज्ञानिक विश्लेषण से पता लगाया जाएगा कि चांद पर चीजों ने कैसे और किस तरह आकार लिया होगा। हालांकि मेघा काम तब शुरू होगा, जब चंद्रयान-2 अपनी कक्ष में स्थापित हो जाएगा।
मेघा भट्ट की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई कटनी के कैमोर स्थित एसीसी मीडिल स्कूल से की है। यह हिंदी मीडियम की छात्रा थीं। उसके बाद हायर सेकेंड्री की पढ़ाई मेघा ने कैमोर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से की। मेघा शुरू से ही मेधावी छात्रा थी। इसके बाद मेघा उच्च शिक्षा के लिए जबलपुर चली आईं। इस बीच मेघा के पिता एससीसी से रिटायर होकर गुजरात में परिवार के साथ शिफ्ट हो गए। अब पूरा परिवार वहीं रहता है।
मेघा के साथ पढ़ने वाले उसके साथी ने बताया कि मैं दसवीं तक मेघा के साथ पढ़ा हूं। सिर्फ क्लास में वो पढ़ाई से ही मतलब रखती थी। पड़ोसियों ने कहा कि मेघा का परिवार काफी सभ्य था। वह शुरुआती पढ़ाई गांव से ही की है। वहीं, स्कूल के प्रिसिंपल पीपी नेमा ने कहा कि वह ग्यारहवीं में मेरे स्कूल में दाखिला लिया था। वह काफी प्रतिभावन थी। मेघा लाइब्रेरी से हमेशा ऐसी बुक इश्यू करवाती थी जो कभी किसी ने नहीं करवाया। स्कूल के दूसरे एक्टिविटिज में भी वह हिस्सा लेती थी।
रतलाम के हिमांशु हैं चंद्रयान-2 में वैज्ञानिक
वहीं, मध्यप्रदेश के रतलाम के हिमांशु शुक्ला भी चंद्रयान-2 को तैयार करने वाली टीम में शामिल हैं। हिमांशु इसरो में साइंटिस्ट के पद पर कार्यरत हैं। चंद्रयान-2 के लिए जो बूस्टर तैयार किया गया था, हिमांशु उसी टीम का हिस्सा थे। हिमांशु के परिजनों ने बताया था कि लॉन्चिंग से पहले वे 30-30 घंटे तक काम करते थे। चंद्रयान-2 से पहले हिमांशु मंगलायन की टीम में भी शामिल रहे हैं।