प्रदेश में दो साल पहले बैतूल, बालाघाट, सिवनी, मंडला, रीवा सहित करीब 12 जिलों में पीडीएस में घटिया सप्लाई के मामले में केंद्र ने चावल की 1700 करोड़ की सब्सिडी रोक दी है। प्रदेश सरकार से केंद्र एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) मांग रही है। वहीं खाद्य विभाग के अफसर अपने मातहतों को बचाने के लिए केन्द्र को एटीआर देने से कतरा रहे हैं।
चावल घोटाले में ईओडब्ल्यू भी 18 राइस मिलर्स, 9 कर्मियों के खिलाफ एफआइआर कर जांच पूरी कर पाया है। जिन 9 कर्मचारियों पर एफआइआर दर्ज की है, वे सभी खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम और भंडार निगम में काम करने वाले छोटे कर्मचारी हैं, जबकि बड़े कर्मचारियों और अफसरों को नोटिस जारी कर इतिश्री कर ली गई। यह मामला पिछले तीन सालों से चल रहा है, इस दौरान उक्त मामले में कई जिम्मेदार अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
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घटिया चावल वितरण को लेकर सितम्बर 2020 में पीएमओ को शिकायत हुई थी। पीएमओ ने बैतूल के कई गोदामों और राशन दुकानों से सैंपल लेकर जांच कराई। पाया कि गरीबों को जो चावल बांटा जा रहा है, वह जानवरों के खाने लायक है। पीएमओ ने रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी। इसके बाद एफसीआइ और खाद्य विभाग की टीम ने करीब 12 जिलों में कार्रवाई की थी। चावल के आधे से ज्यादा सैंपल घटिया पाए गए। सीएम शिवराज सिंह ने आरोपियों पर एफआइआर के निर्देश दिए थे।