मौलसिरी का स्वभाव और स्वरूप
वैसे तो इसका वृक्ष आमतौर पर नर्सरियों में मिल ही जाता है, लेकिन जिन लोगों के इसके आकर्षण का ज्ञान नहीं है उन्हें बता दें कि, मौलसिरी का तना छोटा और सीधा होता है। इसमें कई शाखाएं होती हैं। मौलसिरी के घने पत्ते 5 से 10 सेमी लम्बे, आगे का भाग नुकीले और वृन्त की ओर गोल होते हैं। इसकी बनावट लगभग जामुन के पत्तों जैसी होती है। 24 पंखुड़ियों से युक्त इसका फूल सफेद रंग का होता है, जो कि एकाकी या मंजरियों में निकलते हैं। इसका फल एक इंच तक लम्बा अण्डाकार, कच्चेपन की अवस्था में हरा और पकने पर नांरगी या पीले रंग का हो जाता है। गर्मी से सर्दी तक इसमें फूल लगते हैं और बाद में फल आते हैं। इसकी छाल में टैनिन, रंजक द्रव्य, मोमीय पदार्थ, स्टार्च और क्षार पाई जाती हैं। फूलों में एक उड़नशील तेल, बीजों में एक स्थिर तेल तथा फल मज्जा में मिठास और सैपोनिन पाया जाता है।
इन बीमारियों में है लाभकारी
-दांतों की समस्या
मौलसिरी के पेड़ की 50 ग्राम छाल को 500 मिलीलीटर पानी में उबालें, जब यह 100 मिलीलीटर शेष बचे तो इस काढ़े से कुल्ला करें। इससे हिलते हुए दांत स्थिर हो जाते हैं। रोजाना इसका फल चबाने से दांत मजबूत होते हैं। इसकी छाल से मंजन करना भी कई समस्याओं में लाभ पहुंचाता है। इसके फल में मौजूद बीज चबाने से भी दांतोंका दर्द दूर होता है। इसकी शाखाओं के कोमल भाग को पीसकर दूध या पानी के साथ रोजाना पीने से बुढ़ापे में भी दांत मजबूत रहते हैं।
-सिर दर्द
मौलसिरी के सूखे फूलों का बारीक चूर्ण बनाकर पीड़ित को सुंघाने से घातक से घातक सिर दर्द में तुरंत आराम मिल जाता है।
-गर्भाशय करे शुद्ध
जिन स्त्रियों के गर्भ न ठहरता हो उन स्त्रियों को मौलसिरी की छाल का 5-10 ग्राम चूर्ण या 10-20 मिलीलीटर काढ़े का सेवन कराएं। इससे कुछ ही दिनों में स्त्री का गर्भाशय शुद्ध हो जाता है और वे गर्म धारण के योग्य हो जाती हैं। मौलसिरी की छाल के 5-10 ग्राम चूर्ण में बराबर मात्रा में शक्कर (चीनी) मिलाकर स्त्री को खिलाने से गर्भाशय से पानी का बहना बंद हो जाता है।
-मुंह के रोग
मौलसिरी, आंवला और कत्था इन तीनों की छाल बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े से दिन में 10-20 बार कुल्ला करने से मुंह के छाले, मसूढ़ों की सूजन और हर प्रकार के मुंह के रोगों में तुंरत आराम मिलता है। साथ ही, दांत भी मजबूत होते हैं।
-खांसी
मौलसिरी के फूलों को रात भर आधा किलो पानी में भिगोकर रखें, सुबह के समय 10-20 ग्राम की मात्रा में 3-6 दिन तक उस पानी को बच्चे को पिलायें। इससे खांसी पूरी तरह ठीक हो जाएगी। तथा जमा कफ भी साफ होगा।
-कब्ज
बच्चों का कब्ज दूर करने के लिए मौलसिरी के बीजों की मींगी की बत्ती, पुराने घी के साथ बनाकर, बत्ती को गुदा में रखने से 15 मिनट में मल की कठोर गांठे दस्त के साथ निकल जाती हैं।
-आंखों के रोग
लगभग 7 से 14 मिलीलीटर मौलसिरी के पत्तों का रस लें। इसे शहद के साथ रोजाना सुबह-शाम रोगी को देने से आंखों के रोगों में आराम आता है।
-बुखार
20 से 40 मिलीलीटर मौलसिरी का काढ़ा सुबह-शाम पीने से जीर्ण-बुखार के कारण आने वाली कमजोरी दूर हो जाती है।
-पायरिया
मौलसिरी के तने से दातुन करने से तथा इसके फल को चबाने से पायरिया रोग नष्ट होता है। मौलसिरी की छाल का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से दांतों का हिलना एवं पायरिया रोग ठीक हो जाता है। इससे मसूड़े के रोग भी ठीक होते हैं।
-फोड़े-फुंसियों में राहत
मौलसिरी की सूखी हुई छाल को पीसकर मोम या वैसलीन में मिला लें। इसे दिन में 3 से 4 बार लगाएं। ऐसा करने से फोड़े फुंसी में तुरंत आराम तो मिलता ही है, जल्दी ही ये ठीक भी हो जाते हैं।