इसमें स्थानीय संस्थानों के एक-दो एक्सपट्र्स के साथ निगम के ही इंजीनियर रखे जाएंगे। जाहिर है, इस तरह सभी नावों को फिट करार देकर तालाब में चलने के लिए अनुमति दे दी जाएगी। सवाल है कि कागजी तौर पर फिट ये नाव दुर्घटनाग्रस्त होती हैं तो जिम्मेदारी किस की होगी।
अभी सिर्फ बड़ा-छोटा तालाब पर ही ध्यान
अभी नाव पंजीयन में बड़ा और छोटा तालाब पर ही ध्यान केंद्रित है। यहीं की नावों के लिए फार्म भरवाए जा रहे हैं। झील प्रकोष्ठ के कार्यपालन यंत्री संतोष गुप्ता का कहना है कि अभी हम फार्म देकर जानकारी ही जुटा रहे हैं। पंजीयन तभी होगा, जब संबंधित नाव संचालक नाव से जुड़े तमाम प्रमाण-पत्र देगा।
अब तक प्रतिबंधित नहीं कीं अवैध नाव
खटलापुरा की घटना के बाद भी तालाबों में अवैध नावों का संचालन बंद नहीं किया गया। पंजीयन की प्रक्रिया के बीच भी दोनों तालाब में बेरोकटोक चल रही है। तालाबों में जाल से मछली पकडऩे की छूट है, जबकि बारिश के महीनों में मछलियों का प्रजनन काल होता है। हाल ही में ऐसे ही जाल में क्रूज फंस गया था।