– असल में क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैम्पा) की वार्षिक योजना को लेकर मुख्य सचिव वीरा राणा की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय बैठक मंगलवार को हुई। इसमें 1390 करोड़ की योजना का अनुमोदन किया गया। योजना में बिगड़े वनों को संवारने से लेकर आधुनिक तकनीक और उपकरणों के साथ सुरक्षा को मजबूत करना शामिल है।
– 4906 हेक्टेयर में 82 करोड़ से नवीन प्रतिपूरक क्षतिपूर्ति वनीकरण, 30880 हेक्टेयर में 79 करोड़ से प्रतिपूरक वनीकरण रखरखाव, 47871 हेक्टेयर में 62 करोड़ से कैचमेंट क्षेत्र शोधन योजना पर काम, 38 करोड़ से वन्यप्राणी प्रबंधन किया जाएगा।
– जंगली हाथियों के उत्पात से निपटने पर 2 करोड़, 2 करोड़ से वन्यप्राणियों के लिए आधुनिक रेस्क्यू उपकरण खरीदे जानेको अनुमोदित किया है।
– 85 लाख से वाच टावर लगेंगे, आधुनिक उपकरण व सेफ्टी किट पर 12 करोड़, वन चौकी, वन उपज जांच नाका निर्माण पर 2.73 करोड़ खर्च किए जाएंगे।
– स्ट्रांग रूम, कैमरे, अतिक्रमण विरोधी खंती निर्माण पर 10 करोड़ रुपए खर्च किए जाने का अनुमोदन किया गया है।
– 12 करोड़ से वायरलेस खरीदी, 19 करोड़ से रोपणियों में इंफ्रास्ट्रक्चर के काम, 2.83 करोड़ से काष्ठागार उन्नयन, 10 करोड़ से स्मार्ट फोन खरीदी।
इस नए घर में बसाए जाएंगे चीते
आपको बता दें कि पिछले साल देश में चीता प्रोजेक्ट की शुरुआत जहां मप्र से की गई। वहीं अब दूसरे चरण में भी चीतों को मप्र ही लाकर बसाया जाएगा। लेकिन यह जगह कूनो नहीं बल्कि, उनके दूसरे या कहें कि दूसरे घर के रूप में तैयार हो रही है। इन नए चीतों के लिए दूसरा घर मंदसौर के गांधी सागर वन अभयारण्य में बसाया जा रहा है। 30 करोड़ की लागत से 67 वर्ग किमी के क्षेत्र में बन रहा है चीतों का बाड़ा मंदसौर के इस गांधी सागर अभयारण्य में चीतों के 67 वर्ग किमी में बाड़ा बनाने का काम पूरे जोर-शोर से जारी है। उम्मीद की जा रही है कि सबकुछ अच्छा रहा तो नए साल में गांधी सागर अभयारण्य में चीते दौड़ते नजर आएंगे।
चंबल नदी के एक छोर पर बन रहा बाड़ा
चंबल नदी के एक छोर पर यह बाड़ा बनाया जा रहा है। यहां 12 हजार 500 गड्ढे खोदकर हर तीन मीटर की दूरी पर लोहे के पाइप लगाए हैं। इन पिलर पर तार फेंसिंग के साथ लोहे से 28 किलोमीटर लंबी और 10 फीट ऊंची दीवार बनाई जा रही है। इस दीवार पर सोलर तार लगाए जा रहे हैं। ये तार सोलर बिजली से कनेक्ट रहेंगे। ऐसे में यदि कोई भी चीता बाउंड्री वॉल को लांघने की कोशिश करता है तो उसे करंट का झटका लगेगा। आपको बता दें कि गांधीसागर वन अभयारण्य 369 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। 28 किलोमीटर लंबे बाड़े की जाली लगाने में करीब 17 करोड़ 70 लाख रुपए से अधिक की लागत आई है। वन क्षेत्र में कैमरे भी लगाए गए हैं। इस नए घर को बसाने और चीता प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए इस पर 30 करोड़ रुपए का खर्च होना है।
दरअसल एक्सपर्ट के मुताबिक चीतों के लिए ऐसी जगह बेहद मुफीद मानी गई हैं, जहां बड़े जंगल हों, आराम करने के लिए घास हो और उनकी पसंद का खाना हो और ये सारी सुविधाएं मंदसौर के गांधी सागर अभयारण्य में उपलब्ध हैं। यही कारण है कि वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट इंडिया ने चीतों के लिए पहले कूनो, फिर गांधी सागर, नौरादेही और राजस्थान के अभयारण्य को चिह्नित किया था। इनमें से एक्सपर्ट ने पहले कूनो फिर गांधी सागर सागर को चीता प्रोजेक्ट के लिए बेस्ट स्थानों में चुना। वहीं नौरादेही और राजस्थान के अभयारण्य की तुलना में गांधी सागर में लागत आधी आ रही थी। यह एल शेप में है और चंबल नदी के किनारे पर बसा है। कुल मिलाकर यह स्थान चीतों के लिए नेचुरली बेहतरीन साबित होगा।
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