कोरोना संक्रमण काल की बुरी यादों से बच्चों और उनके परिवारों को बाहर निकालने के लिए स्कूलों में पोस्टर, स्लोगन लेखन प्रतियोगिता के अलावा प्रेरक कहानियां सुनाने का सत्र आयोजित होगा। कोरोनाकाल में बच्चों के अनुभव सुनने के साथ ही इस विषय पर लेखन प्रतियोगिता भी आयोजित होंगी। नुक्कड़ नाटकों के जरिये नकारात्मकता, बुरी आदतों के दुष्प्रभावों को साझा करने के साथ ही बाल संसद का भी आयोजन किया जाएगा। इसमें मानसिक रूप से स्वस्थ बने रहने पर चर्चा होगी। स्कूलों में ऐसी जगह मसलन‘खुशी का कोना’ स्थापित होंगे जहां बच्चे खुलकर अपनी बात कर सकें। इन सभी गतिविधियों में शिक्षक और उनके परिजनों को भी शामिल किया जाएगा।
वैक्सीनेशन के लिए कॉलेजों में ये होगी कवायद
वैक्सीन का दूसरा डोज नहीं लगवाने वाले विद्यार्थियों को चिह्नित कर उनका वैक्सीनेशन करवाने का काम कॉलेज स्तर पर किया जाएगा। कॉलेज के विद्यार्थी अपने-अपने परिवार के लोगों को वैक्सीन के सेकंड डोज के लिए न केवल प्रेरित करेंगे, बल्कि उन्हें स्वास्थ्य केंद्र ले जाएंगे। कोरोना से बचाव के लिए जरूरी वैक्सीन लगवाने संबंधी एसएमएस उच्च शिक्षा विभाग द्वारा विद्यार्थियों के मोबाइल पर भेजे जाएंगे, जिन्हें अन्य लोगों तक अनिवार्य रूप से भेजा जाएगा। कॉलेज प्रबंधन को विद्यार्थियों के अलावा अतिथि शिक्षकों के वैक्सीनेशन संबंधी जानकारी वेबसाइट पर अपलोड करना होगी। साथ कॉलेजों में कोरोना वैक्सीनेशन के फायदे बताने वाले फ्लेक्स अनिवार्य रूप से लगाने होंगे।