करीब 38 साल पहले गैस त्रासदी में राजधानी के हजारों लोग प्रभावित हुई। यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से गैस का रिसाव हुआ है। इसका सबसे ज्यादा असर कार्बाइड से कुछ ही मीटर दूर जेपी नगर और आसपास की बस्तियों पर पड़ा। यहां सबसे ज्यादा प्रभावित अब भी है। इसी बस्ती के पास प्रशासन ने इस त्रासदी की यादगार के तौर पर एक स्मारक का निर्माण कराया गया था।
कहने को प्रभावितों के जख्तों पर मरहम लगाने के लिए आर्थिक सहायता से लेकर इलाज, पुनर्वास और रोजगार जैसी योजनाएं चलाई गई। इन पर करोड़ों रुपए खर्च हुए लेकिन इसका वह लाभ प्रभावितों को नहीं मिला जिसका लक्ष्य था। नतीजा अब भी लोग परेशान हैं।
करोड़ों का बजट होने के बाद भी गैस राहत विभाग स्मारक को भी संरक्षित नहीं कर पाया। स्मारक के रूप में एक महिला की प्रतिमा बनी है जो बच्चे को गोद में उठाए हुए हैं। यह प्रतिमा भी कई जगह से टूटने फूटने लगी है।
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कारखाना परिसर में ही स्मारक बनाने की थी योजना
इससे पहले यूनियन कार्बाइड के परिसर को ही एक स्मारक के रूप में परिवर्तित करने की योजना थी। इस पर चर्चा भी हुई प्रस्ताव भी बना लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं हो पाया। ऐसे में फिलहाल कार्बाइड के बाहर ही मुख्य स्मारक है। यही पर धरने प्रदर्शन होते हैं।