यह तीन मंजिला है। दीवार, सीढ़ियों और मुंडेर पर मेहराव से लेकर बेल और पत्तियां बनी हैं। इतिहासकारों के मुताबिक लंबे समय तक इसका निर्माण कार्य चला था। इसके के चलते यहां कई काम किए गए। बताया गया कि यहां कई देशों की वास्तुकला की झलक देखने को मिलती है। इन सब चीजों को देखने के लिए देशभर से लोग भोपाल आते हैं। इनमें कई रोचक बातें छुपी हुई हैं।
तीस एकड़ के बाग में कई मकबरे भी
नवाब कुदरिया बेगम ने अपने वालिद की याद में 30 एकड़ में बाग का निर्माण कराया था। ऐसा बताया गया कि उन दिनों इसे वजीर बाग भी कहा जाता था। यहां कई मकबरे बनाए गए हैं। लाल बलुआ पत्थर से निर्मित इनमें चारबाग पद्धति नजर आती है। सभी आकर्षक हैं।
कई पर्यटक आते हैं यहां, फिर भी अनदेखी
यह शहर के प्रसिद्ध जगहों में से एक है। भोपाल आने वाले पर्यटकों के लिए हमेशा से आकर्षण का केन्द्र रही है। बावजूद इसके देखरेख पर ध्यान नहीं जा रहा है। इसी के चलते कई हिस्से बर्बाद हो चुके हैं। यहां की नक्काशी पर अब कई स्लोगन लिखे नजर आते हैं। इसे न तो रोका गया और न ही यहां सुधार किया जा रहा है। इसे लेकर योजनाएं तो बनती हैं लेकिन काम नहीं हो पा रहा है। बड़ा बाग लगभग 30 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां सबसे पहले भोपाल के छठे नवाब वजीर मोहम्मद खान का मकबरा बनाया गया था।