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भोपाल

रोशन है अल्लाह का घर, मांग रहे देश-दुनिया में अमन-चैन की दुआ

एशिया की सबसे छोटी ढाई सीढ़ी वाली मस्जिद और सबसे बड़ी ताजुल मस्जिद राजधानी भोपाल में हैं। ये दोनों आकर्षक रोशनी से गुलजार हैं। गांधी मेडिकल कालेज के पास फतेहगढ़ किले के बुर्ज पर बनी सबसे छोटी मस्जिद में महज तीन लोग एक साथ नमाज पढ़ सकते हैं।

भोपालApr 02, 2023 / 11:08 pm

Mahendra Pratap

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भोपाल. एशिया की सबसे छोटी ढाई सीढ़ी वाली मस्जिद और सबसे बड़ी ताजुल मस्जिद राजधानी में हैं। ये दोनों आकर्षक रोशनी से गुलजार हैं। गांधी मेडिकल कालेज के पास फतेहगढ़ किले के बुर्ज पर बनी सबसे छोटी मस्जिद में महज तीन लोग एक साथ नमाज पढ़ सकते हैं। इसके लिए नंबर लगाना पड़ रहा है। इस्लाम में मस्जिदों को अल्लाह का घर माना जाता है। रमजान माह में आसमानी किताब कुरआन उतारा गया था, इसलिए इन दिनों हर कोई मस्जिदों में नमाज अता करने रोजा अफ्तार करने आ रहा है। देश-दुनिया में अमन-चमन की दुआएं की जा रही हैं।
विदेश से छुटिटयां लेकर आए
इबादत और बरकतों का महीने रमजान में कोहेफिजा निवासी मोहम्मद फैसल विदेश से आए हैं। पेशे से सीनियर पॉयलेट जैनुल खट्टानी एक महीने की छुट्टियों पर हैं। वे कहते हैं रमजान के महीना भोपाल में बीते इससे बड़ा और सुख क्या हो सकता है।
रात के आठ बजे
इफ्तार के लिए दस्तखान पर सैकड़ों लोग
रात के आठ बजे हैं। इफ्तार पर सैकड़ों लोग एक साथ दस्तखान बिछा कर रोजा खोलने के लिए बैठे हैं। यह हर रोज का सिलसिला है। जो लंबे समय से मिले नहीं वे एक दूसरे का सुख-दुख बांट रहे हैं।
रात के नौ बजे
साढ़े चार सौ से ज्यादा मस्जिदें
सबसे छोटी और बड़ी मस्जिद ही नहीं। शहर की करीब साढ़े चार सौ से ज्यादा मस्जिदों में रंगाई-पुताई की गयी है। कई में तालीम के केन्द्र चल रहे हैं। रायल मार्केट से लगे हिस्से में मोती मस्जिद और पास जामा मस्जिद के पास कारोबारी फुर्सत में बैठे हैं। इबादत पर ही चर्चा हो रही है।
रात्रि के 12 बजे
कारोबार से इबादत पर ध्यान
रात्रि के 12 बजे हैं। पुराने शहर में त्योहार जैसा माहौल है। लोगों की दिनचर्या बदल गई। कारोबार से ज्यादा इबादत पर ध्यान है। ताजुल मसाजिद के आसपास भीड़ है। देश-विदेश से हजारों की संख्या में यहां नमाजी हर रोज पहुंच रहे हैं।
रात 3 बजे
सेहरी तक गुलजार
सुबह के तीन बजने को हैं। रोजे में सुबह सेहरी के बाद खाना इफ्तार के बाद ही खाया जाता है। इसलिए दुकानें खुली हैं। 70 वर्षीय तारिक बताते हैं नवाबी दौर में शहर में गिने-चुने होटल थे। अब रोजेदारों के लिए कई दुकानें सुबह तक खुल रही हैं।
सत्तर गुना ज्यादा पुण्य
हाफिज जुनैद बताते हैं दिन में पांच वक्फ की नमाज पढ़ रहा हूं। क्योंकि, बेहतरी वाले काम और इबादत का पुण्य बाकी माह के मुकाबले सत्तर गुना इस समय ज्यादा होता है। खैरात, जकात से लेकर जितना हो सकता है मदद करते हैं।
सिवइयां, खजूर, फैनी और बेकरी
बाजारों में दिनभर पसरा सन्नाटा शाम को टूटता है। सेहरी इफ्तार की तैयारी से लेकर ईद की खरीदारी करने लोग उमड़ पड़े हैं। दुकानें रातभर खुली हैं। कपड़े और खाने पीने की दुकानों से लेकर बेकरी के आइटम, सिवइयां, फैनी जैसे सामान भी बिक रहे हैं।

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