स्कूल में है खिलजी का पाठ
मध्यप्रदेश के स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली सामाजिक विज्ञान की किताब में 6वीं से 10वीं के बीच पद्मावती का जिक्र तक नहीं किया गया है।
फिल्म की रिलीज पर असमंजस
मध्यप्रदेश में इस फिल्म की रिलीज को लेकर अब भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। करणी सेना के विरोध को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फिल्म पद्मावत को बैन करने की घोषणा की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद यह फिल्म रिलीज नहीं हो पा रही है।
-मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने करणी सेना के विरोध के चलते मध्यप्रदेश में फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया था और रानी पद्मावती को राष्ट्रमाता घोषित कर उनके नाम से पुरस्कार देने की भी घोषणा की थी।
मुख्यमंत्री ने किया था यह ऐलान
-मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रानी पद्मावती को राष्ट्रमाता बताया था।
-उन्होंने ऐलान किया था कि जीवन और शौर्यगाथा पर ऐतिहासिक तथयं से छेड़छाड़ कर बनाई गई इस फिल्म को प्रदेश में रिलीज नहीं होने देंगे।
-बच्चे भी रानी पद्मावती के इतिहास की बातें पढ़ेंगे।
-भोपाल में रानी पद्मावती की शौर्य गाथा को दर्शाने वाली स्मारक स्थापित किया जाएगा और राष्ट्रमाता पद्मावती नाम से पुरस्कार जारी किया जाएगा।
आखिर क्या है इस किताब में
मध्यप्रदेश के बच्चे जिस अलाउद्दीन खिलची के साम्राज्य की शौर्य गाथाएं पढ़ रहे हैं वो रानी पद्मावती के जौहर का कारण बन गया था। लेकिन, इस किताब में रानी के जौहर के बारे में एक शब्द नहीं है। हायर सेकण्डरी स्कूल में इतिहास की किताब में मध्य प्रदेश के बच्चे पहली मर्तबा रानी पद्मावती के बारे में पढ़ते हैं। किताब में साल 1303 में अलाउद्दीन खिलजी की चित्तौड़ की विजय पर पूरा पेराग्राफ छापा गया है।
उस किताब में मेवाड़ की राजधानी चित्तोड़ पर हमले का जिक्र है। किताब में बताया गया है कि चित्तौड़ पर आक्रमण का मकसद ही राणा रतन सिंह की अत्यंत सुंदर स्त्री पद्मिनी को पाना था। चित्तौड़ के राजपूतों ने इस आक्रमण का वीरता के साथ सामना किया। लेकिन, अलाउद्दीन खिलजी को विजयी मिली और उसने चित्तौड़ के किले पर कब्जा जमा लिया। रानी पद्मावती और दूसरी राजपूतानियों ने अपनी आत्मसम्मान और रक्षा के लिए सामूहिक रूप से जौहर कर लिया था। इसके बाद खिलजी ने गुस्से में आकर हजारों राजपूतों को मौत के घाट उतार दिया था। चित्तौड़ का नाम बदलकर खिज़ाबाद कर दिया था।