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AI Tool Chat GPT का सबसे ज्यादा इफेक्ट स्टूडेंट्स के मेंटल लेवल पर, एक्सपर्ट का दावा सुनकर हैरान रह जाएंगे आप

AI Tool Chat GPT Bad Effects : AI के यूज पर पद्मश्री प्रोफेसर अजॉय कुमार रे कहते हैं कि चैट जीपीटी का तेजी से इस्तेमाल मेंटल लेवल को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। कैसे? पढ़ें पूरी खबर…

भोपालOct 07, 2023 / 12:43 pm

Sanjana Kumar

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AI Tool Chat GPT Bad Effects : आज आप चाहे जिससे बात करें, एजुकेशन की, टेक्नीक की या फिर किसी भी फील्ड की, हर जगह आपको एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का नाम सुनाई देगा। आप सोशल मीडिया पर कुछ भी सर्च करते हैं, उससे जुड़े एड आपके पास आना शुरू हो जाते हैं, कैसे? दरअसल सोशल मीडिया कंपनियां एआई का यूज कर यूजर का पैटर्न समझ जाती हैं और उनका डेटा कलेक्ट करना शुरू कर देती हैं। इसी डेटा का इस्तेमाल करके वो यूजर को इस तरह के विज्ञापन या फीड शो करती हैं। कुछ ही समय गुजरा है कि आम जिंदगी में ऐसा ही एक एआई टूल चैट जीपीटी प्लेटफॉर्म आ गया। इस एआई टूल से आप जो भी पूछें उसका उत्तर आपको चंद सैकंड्स में मिल जाता है। इस तरह एआई का यूज हर फील्ड में तेजी से बढ़ा है। अब एजुकेशन में भी इसका तेजी से प्रयोग बढ़ा है। बेहद पॉजिटिविटी के साथ लोगों ने इसे अपनाना शुरू किया, लेकिन अब एआई यूज का ऐसा स्याह पहलू भी सामने आ रहा है जिसे गंभीरता से लेते हुए एक्सपट्र्स ने एआई के यूज पर रूल्स रेगुलेशन बनाने की अपील भी की है। एआई के यूज पर पद्मश्री प्रोफेसर अजॉय कुमार रे कहते हैं कि चैट जीपीटी का तेजी से इस्तेमाल मैंटल लेवल को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। कैसे? पढ़ें पूरी खबर…

दरअसल पद्मश्री प्रो. अजय कुमार रे भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईआईटी) में नव स्थापित आईईईई छात्र शाखा के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए थे। पद्मश्री प्रो. अजय कुमार रे यहां मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस कार्यक्रम में डॉ. अशुतोष कुमार सिंह, निदेशक आईआईआईटी भोपाल, डॉ. अमित ओझा, सचिव आईईईई एमपी सेक्शन और डॉ. गौरव कुमार भारती आदि उपस्थित रहे।

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पत्रिका से बातचीत में उन्होंने कहा कि हर चीज के दो पहलू होते हैं, अच्छा और बुरा…। यही हाल एआई का है, क्योंकि जबसे एआई आया है, सबसे ज्यादा काम स्टूडेंट्स का आसान हो गया है। वे पेपर, थीसिस और प्रोजेक्ट बनाने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के टूल चैट जीपीटी का तेजी से इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे उनका मानसिक स्तर घटने के चांसेज बढ़ गए हैं। दिमाग काम करना बंद करता जा रहा है। इसके लिए गवर्नमेंट को कुछ रूल्स और रेगुलेशन बनाने होंगे।

बढ़ गया जॉब जाने का खतरा

अजय कुमार ने कहा कि जिस फील्ड में एआई मशीन लर्निंग का सबसे ज्यादा दखल होगा, वहां जॉब जाने का खतरा ज्यादा होगा, लेकिन ये भी है कि अगर 10 जॉब जाएंगे तो 2 जॉब जनरेट होंगे, क्योंकि किसी भी मशीन को चलाने के लिए दिमाग और नॉलेज की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। इसके अलावा जब से एआई आया है, तभी से गलत और सही चीजों का पता कर सकें, ऐसे टूल्स जनरेट किए जा रहे हैं। इसके अलावा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में सर्टिफिकेट कोर्स, डिप्लोमा कोर्स भी शुरू कर दिए गए हैं।

हेल्थकेयर सेक्टर में भी एआई

अ जय कुमार ने बताया कि हेल्थकेयर सेक्टर में एआई का खूब इस्तेमाल हो रहा है। कैंसर जैसी पुरानी बीमारियों से लेकर रेडियोलॉजी तक सही नतीजे पता करने के लिए एआई का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो इन बीमारियों से पीडि़त मरीजों की देखभाल करता है और साथ ही उनका सटीक इलाज ढूंढने में मदद कर रहा है। पाथ एआई इसका एक अच्छा उदाहरण है। इसकी मदद से कैंसर डायग्नोसिस का सटीक डेटा मिलता है और इलाज में मदद मिलती है। वहीं एआई-माइक्रोस्कोप की मदद से जानलेवा रक्त रोगों का भी सटीक डेटा मिल सकता है।

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