देवास के 21 साल के देवांग जोशी अयोध्या राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) के लिए निकले थे। देवांग अपने दोस्तों के साथ पदयात्रा कर रहा था। तभी सांची के पास सड़क दुर्घटना में देवांग गंभीर रूप से घायल हो गया। इलाज के लिए उसे पहले भोपाल के एक निजी हॉस्पिटल में ले जाया गया। बाद में उसे इंदौर के बॉम्बे हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया। जहां उसने अपनी अंतिम सांस ली।
देवांग के आर्गन को अन्य मरीजों में प्रत्यारोपित करने के लिए बॉम्बे अस्पताल से लेकर चोइथराम अस्पताल तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था। देवांग जोशी के शरीर में जन्म से ही एक ही किडनी थी, जो बांबे हास्पिटल में रजिस्टर्ड 42 साल की महिला रोगी के शरीर में प्रत्यारोपित की जा रही है। जबकि लिवर चोइथराम अस्पताल के रजिस्टर्ड मरीज को दिया जा रहा है।
डॉक्टरों के मुताबिक मौत के बाद एक व्यक्ति के अंगदान से कम से कम आठ लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है। ब्रेन डेड घोषित होने के बाद सभी अंग डोनेट किए जा सकते हैं। इसके लिए परिजनों की स्वीकृति जरूरी है। ब्रेन डेड मरीज की किडनी, लीवर, फेफड़ा, पैंक्रियाज, छोटी आंत, वॉयस बॉक्स, हाथ, गर्भाशय, अंडाशय, चेहरा, आंखें, मिडिल ईयर बोन, स्किन, बोन, कार्टिलेज, तंतु, धमनी व शिराएं, कॉर्निया, हार्ट वॉल्व, नर्व्स, अंगुलियां और अंगूठे दान किए जा सकते हैं।
कुछ कैंसर व डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति अंगदान कर सकते हैं। कैंसर और एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति, सेप्सिस या इन्ट्रावेनस दवाओं का इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति अंगदान नहीं कर सकते।