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भोपाल

मां तुझे सलामः अयोध्या के रास्ते में बेटे की मौत, मां ने खुद को संभाला, कई लोगों की जिंदगी बचाई

MP News: एक मां के कितने रूप होते हैं। खुद का 21 साल का बेटा इस दुनिया से चले जाता है और वो मां अपना दुख भूलकर कई जंदगियों को बचाने में जुट जाती है। हर कोई इस मां को सलाम कर रहा है।

भोपालMar 01, 2024 / 03:38 pm

Puja Roy

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यह हैं देवास की रश्मि जोशी, जिन्होंने हाल ही में अपना जवान बेटा खो दिया। एक जवान बेटे का दुनिया से चले जाने का गम क्या होता है, यह मां से ज्यादा कोई महसूस नहीं कर सकता। कई महिलाएं यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाती हैं, लेकिन रश्मि जोशी ने जैसे तैसे इस सदमे से अपने आपको बाहर निकाला और कई पीड़ितों का जीवन बचाने के लिए जुट गई। रश्मि जोशी ने निर्णय लिया है कि खुद को संभालेंगी साथ परिवार को भी संबल देंगी और अपने बेटे के अंगों को दान (Organ Donation) करके किसी को नया जीवन देगी।
अयोध्या जाते समय हुई दुर्घटना
देवास के 21 साल के देवांग जोशी अयोध्या राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) के लिए निकले थे। देवांग अपने दोस्तों के साथ पदयात्रा कर रहा था। तभी सांची के पास सड़क दुर्घटना में देवांग गंभीर रूप से घायल हो गया। इलाज के लिए उसे पहले भोपाल के एक निजी हॉस्पिटल में ले जाया गया। बाद में उसे इंदौर के बॉम्बे हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया। जहां उसने अपनी अंतिम सांस ली।
बेटे के जाने से पुरा परिवार सदमे में चला गया था, लेकिन उसकी मां रश्मि जोशी ने जैसे-तैसे अपने आपको संभाला और सोचा कि मेरा बेटा जरूर मेरे साथ नहीं रहेगा, लेकिन उसके अंग कई शरीर में जीवित रहेंगे। इसके बाद रश्मि ने बेटे अंग दान का फैसला लिया। पिता दीवान चंद्रमणि जोशी और बहन जहान्वी ने भी इस नेक कार्य के लिए सहमति दी। आज पूरा शहर उनके साहस का सम्मान कर रहा है।

देवांग के आर्गन को अन्य मरीजों में प्रत्यारोपित करने के लिए बॉम्बे अस्पताल से लेकर चोइथराम अस्पताल तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था। देवांग जोशी के शरीर में जन्म से ही एक ही किडनी थी, जो बांबे हास्पिटल में रजिस्टर्ड 42 साल की महिला रोगी के शरीर में प्रत्यारोपित की जा रही है। जबकि लिवर चोइथराम अस्पताल के रजिस्टर्ड मरीज को दिया जा रहा है।

डॉक्टरों के मुताबिक मौत के बाद एक व्यक्ति के अंगदान से कम से कम आठ लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है। ब्रेन डेड घोषित होने के बाद सभी अंग डोनेट किए जा सकते हैं। इसके लिए परिजनों की स्वीकृति जरूरी है। ब्रेन डेड मरीज की किडनी, लीवर, फेफड़ा, पैंक्रियाज, छोटी आंत, वॉयस बॉक्स, हाथ, गर्भाशय, अंडाशय, चेहरा, आंखें, मिडिल ईयर बोन, स्किन, बोन, कार्टिलेज, तंतु, धमनी व शिराएं, कॉर्निया, हार्ट वॉल्व, नर्व्स, अंगुलियां और अंगूठे दान किए जा सकते हैं।
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कुछ कैंसर व डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति अंगदान कर सकते हैं। कैंसर और एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति, सेप्सिस या इन्ट्रावेनस दवाओं का इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति अंगदान नहीं कर सकते।

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