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भोपाल

पहले ऑक्सीजन कम था अब उसे लाने के लिये पर्याप्त टैंकर नहीं, जरूरत हैं 96 टैंकरों की एमपी के पास सिर्फ 86

मध्य प्रदेश में पहले ऑक्सीजन की कमी देखी जा रही थी और अब ऑक्सीजन लाने वाले टैंकरों की कमी देखी जा रही है। कोरोना मरीजों के लिये सरकार किस तरह व्यवस्था कर रही है, आइये जानें…।

भोपालMay 03, 2021 / 08:22 am

Faiz

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पहले ऑक्सीजन कम था अब उसे लाने के लिये पर्याप्त टैंकर नहीं, जरूरत हैं 96 टैंकरों की एमपी के पास सिर्फ 86

भोपाल/ देशभर में कोरोना के हाहाकार के चलते राज्यों में ऑक्सीजन की मारामारी जोरों पर हैं। इसी बीच केंद्र सरकार की ओर से आवंटित की जाने के बाद भी मध्य प्रदेश सप्लायर कंपनियों से आवंटन की 50 से 60 टन ऑक्सीजन लेने में असमर्थ है। कारण है ऑक्सीजन टैंकरों की कमी। मौजूदा समय में एमपी के पास सिर्फ 86 टैंकर हैं, केन्द्र की ओर से रोजाना की आवंटित ऑक्सीजन को ही प्रदेश में लाने के लिये 96 टैंकरों की जरूरत है। इस हिसाब से मध्य प्रदेश तमाम कोशिशों के बाद भी 10 टैंकरों की कमी से जूझ रहा है। इसका खामियाजा सांसों के इंतजार में जिंदगी की जंग लड़ रहे कोरोना पीड़ितों को भुगतनी पड़ रही है।

 

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मौजूदा टैंकरों से बनाया गया खास रोटेशन

फिलहाल ऑक्सीजन के लिए बने टॉस्क फोर्स ने टैंकरों का रोटेशन ऐसा बनाया है, जिससे रिलायंस के जामनगर, लिंडे के भिलाई और राउरकेला, बोकारो, सेल भिलाई, मोदी नगर और हजारी प्लांट में लगातार मध्य प्रदेश के टैंकर ऑक्सीजन भरने के लिए खड़े रहें। कुछ बीच रास्ते में हों और कुछ ऑक्सीजन खाली करके लौट रहे हों, ताकि ऑक्सीजन की पूर्ति की जाती रहे। इस व्यवस्था के तहत मौजूदा समय में अन्य राज्यों से करीब 490 से 500 टन ऑक्सीजन मध्य प्रदेश लाई जा रही है।


इस स्वीकृति के बाद नहीं रहेगा टैंकरों का अभाव!

इसके अलावा फिलहाल, मध्य प्रदेश को 92 टन और ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है, जिसे सरकार द्वारा स्थानीय स्तर पर ही जुटाया जा रहा है। इसमें 60-70 टन ऑक्सीजन उद्योगों से और बाकी नए ऑक्सीजन प्लांट और कंसंट्रेटर की मदद से पूर्ति की जा रही है। केंद्र ने हाल ही में नाइट्रोजन और दूसरे रसायन ले जाने वाले टैंकरों को भी मोडिफाई करके ऑक्सीजन लाने ले जाने के लिये स्वीकृति दे दी है। इसके बाद उम्मीद जताई जा रही है कि, आगामी चंद दिनों के भीतर ही कुछ रद्दोबदल के बाद टैंकरों की कमी को पूरा कर लिया जाएगा। बता दें कि, मौजूदा समय में रोजाना 27 से 30 टैंकर एमपी में लगातार ऑक्सीजन लेकर पहुंच रहे हैं।

विभागीय सूत्रों की मानें,तो मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल और इंदौर में ही रोजाना 110 से 130 टन ऑक्सीजन की खपत बनी हुई है। इसके अलावा जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन में भी रोजाना 150 टन ऑक्सीजन की जरूरत है। इससे स्पष्ट होता है कि, मौजूदा ऑक्सीजन की पूर्ति से सिर्फ 3-4 बड़े शहरों की ही ऑक्सीजन पूर्ति संभव है। इसलिये आवंटित किये जाने वाले ऑक्सीजन का आधे से ज्यादा हिस्सा इन्हीं शहरों में पहुंचाया जा रहा है। हालांकि, छिंदवाड़ा में स्थित ऑक्सीजन प्लांट शनिवार से शुरू हो गया है, जिससे आपूर्ति में कुछ हद तक सुधार आया है।


मंत्री ने स्वीकारी टैंकरों की कमी, बताई क्या है वैकल्पिक व्यवस्था

इस संबंध में शिवराज केबिनेट के मंत्री अरविंद भदौरिया का कहना है कि, ये बात दुरुस्त है कि, केंद्र की ओर से आवंटित की जाने वाली ऑक्सीजन पूरी तौर पर फिलहाल नहीं आ पा रही है। टैंकर कुछ कम पड़ रहे हैं। राऊरकेला 1100 से 1200 किमी दूर है। भिलाई जाने में 24 घंटे, जामनगर में 24 से 26 घंटे लग रहे हैं। बोकारो में 30 घंटे लग रहे हैं। इसलिए हमने टैंकर एयर लिफ्ट कराने की भी व्यवस्था शुरु की है। ट्रेन से भी 6 टैंकर मंगाए गए। सरकार लगातार प्रयास कर रही है कि, कम से कम समय में ऑक्सीजन मध्य प्रदेश लाई जा सके।

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